अंबुजा द्वारा 1995 के दौरान हुए समझौते को लेकर गांव बागा के प्रेम केशव ने अम्बुजा के खिलाफ ख़ोला मोर्चा।

ब्यूरो,दैनिक हिमाचल न्यूज़ (दाड़लाघाट) :- अंबुजा सीमेंट कंपनी दाड़लाघाट द्वारा 1995 के दौरान हुए समझौते के अनुसार रोजगार व बंद पड़ी लीज पर मुआवजा न देने को लेकर गांव बागा के प्रेम केशव ने अम्बुजा के खिलाफ मोर्चा ख़ोल दिया है।

उन्होंने कंपनी प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रबंधन वर्ग द्वारा आजकल उन लैंड लूजर परिवारों के साथ कंपनी की जरूरी प्रक्रिया शुरू होना और उनके साथ व्यवहार में अनौखा बदलाव समझ से परे है।

उन्होंने यह बात  प्रेस में जारी बयान में कही है।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अंबुजा कंपनी द्वारा 1995 में जुडिशल क्रमांक संख्या 0835776 पैरा 13 उपमंडलाधिकारी पत्र संख्या 13-48,18 फरवरी 2014 का पैरा संख्या चार में साफ कहा गया है कि जिस की भूमि अधिग्रहण होगी उसे रोजगार तथा रोजगार न मिलने की स्थिति में मुआवजा दिया जाएगा। एक अंतराल के बाद ओवर लैंड बेल्ट कन्वेयर के निर्माण के कारण भूमि खराब होने पर लीज का प्रावधान तथा खराब भूमि को ठीक न होने तक जमीन का लीज मूल्य दिया जाएगा।

परंतु अंबुजा कंपनी में अधिकारियों द्वारा ऐसे सभी लिखित समझौता पैरों को अपने आप ही खत्म कर दिया।प्रेम केशव ने आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी द्वारा मेरी जमीन जो अधिग्रहण की उस के बारे में माना था कि आगामी भाव मूल्य के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा,परंतु उपरोक्त सभी समझौतों को नकारा जा रहा है।

प्रेम केशव ने मोर्चा खोलते हुए कहा कि इस उपेक्षा को देखते हुए मैंने कंपनी प्रबंधन को ग्राम पंचायत प्रधान की मौजूदगी में इस बारे पंचायत में अपना पक्ष रखा।कंपनी द्वारा एक लिखित बयान में कर्मचारी द्वारा लिखकर दिया गया कि कंपनी में सभी लैंड लूजर को लीज दे दी गई है,आपको भी भेज दी जाएगी तथा अन्य अधिग्रहण जमीन का मुआवजा भी तय दामों अनुसार दिया जाएगा।

परंतु ग्राम पंचायत द्वारा कंपनी और मुझे 9 दिसंबर 2021 को 11:00 बजे पेश होने हेतु कहा गया था परंतु कंपनी के अधिकारियों द्वारा पेश होना सही न समझा।प्रेम केशव ने कहा कि प्रधान ग्राम पंचायत दाड़लाघाट द्वारा उन्हें फिर 23 दिसंबर 2021 को पेश होने को कहा गया।कंपनी के कर्मचारियों ने पेश होते ही कहा कि कंपनी उपरोक्त आवेदन के तथ्य पर सहमत नहीं है,आज कंपनी द्वारा रोजगार को टाला,मुआवजा व खराब भूमि की लीज को निकाला जा रहा है जबकि यह वरिष्ठ नागरिकों के साथ सरासर अन्याय हो रहा है।

LIC

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