धर्मांतरण, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक दायित्व पर प्रबुद्धजनों का सामूहिक संकल्प
ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज :- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित संकल्प वर्ष कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत केशव नगर इकाई द्वारा शिमला के वाइब्रेशन हॉल में हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन उत्साहपूर्ण सहभागिता और गरिमामय वातावरण के साथ सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजीव सूद, जिला कार्यवाह हरीश और सम्मेलन के उपाध्यक्ष राजिंदर दत्त उपस्थित रहे, जबकि डॉ. परमजीत कौर विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुईं। अतिथियों के आगमन ने कार्यक्रम में अधिक ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया।

वक्ताओं ने अपने संबोधनों में कहा कि संघ का शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का काल नहीं, बल्कि समाज संगठन, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रहित के कार्यों में और अधिक गति लाने का समय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाज की संगठन शक्ति ही राष्ट्र की वास्तविक शक्ति है।

अपने विस्तृत उद्बोधन में राजीव सूद ने कहा कि सनातन धर्म के मूल में शुद्धता, सरलता, पवित्रता और प्रासंगिकता सभी विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति हजारों वर्षों तक किसी बल-प्रयोग से नहीं, बल्कि सहअस्तित्व और साझेपन की भावना से बनी और बली है।

सूद ने धर्मांतरण को समाज के सामने खड़ी गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि अधिकांश धर्मांतरण किसी विचारधारा से नहीं, बल्कि उपेक्षा, अलगाव, आवश्यक सहयोग के अभाव, सुविधा और लालच के कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल शासन का नहीं, बल्कि समाज का दायित्व है कि कोई भी हिंदू अपने समाज में असहाय, अकेला या उपेक्षित महसूस न करे। उन्होंने कहा कि धर्म तब कमजोर नहीं होता जब कोई उस पर हमला करता है, धर्म तब कमजोर होता है जब हम अपने लोगों की देखभाल करना छोड़ देते हैं।

उन्होंने उपस्थित नागरिकों और स्वयंसेवकों से अपील की कि शताब्दी वर्ष को संकल्प वर्ष के रूप में आत्मसात करते हुए संगठन की जड़ें समाज के अंतिम व्यक्ति तक मजबूत की जाएँ, ताकि सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक समरसता और राष्ट्रनीति की रक्षा सुनिश्चित हो सके।

सम्मेलन में उपस्थित नागरिकों ने भी एक स्वर में धर्म-सुरक्षा, संस्कार संरक्षण और समाज समरसता को आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया। कार्यक्रम के समापन पर आयोजकों ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया तथा शताब्दी वर्ष में निरंतर समाज-संपर्क और जागरण गतिविधियों को गति देने का आह्वान किया।

