ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज-अनुसूचित जाति, जनजाति,अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक संयुक्त संघर्ष मोर्चा, अर्की मंडल के एक प्रतिनिधि मंडल ने एक ज्ञापन उप मंडल अधिकारी (नागरिक) अर्की के माध्यम से भारत के महामहिम राष्ट्रपति को सौंपा।

जिसके द्वारा देश के मुख्य न्यायधीश माननीय बीआर गवाई के ऊपर 6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील राकेश किशोर द्वारा जूता फेंकने की शर्मनाक घटना और दूसरी घटना में हरियाणा सरकार में प्रशासनिक अधिकारी वाई पवन कुमार जिन्होंने उनके विरुद्ध रचे गए जातिगत व्यवहार के कारण अपनी जीवन लीला को समाप्त कर दिया।

जिस पर संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा उनके लिखे सुसाइड नोट में नामित आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज न किए जाने पर रोष जताया। ज्ञापन के माध्यम से आग्रह किया कि उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर पीड़ित परिवार को न्याय की व्यवस्था की जाए। यह दोनों ही घटनाएं भारतीय संविधान के विरुद्ध बहुत ही शर्मनाक घटनाएं है। जिसमें देश के उच्चत्तम न्यायालय सहित अनुसूचित जाति वर्ग को निशाना बताया गया है। जिसकी जितनी भी निंदा कर ले वह बहुत कम है। ऐसी घटनाओं से एक आम अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्तियों द्वारा बहुत नाराजगी जाहिर की जा रही है। ऐसी घटनाओं से इन जातियों द्वारा खुद को देश के सर्वाधिक सुरक्षित संविधान के होते हुए भी असुरक्षति महसूस करने लगी है और यदाकदा देश भर में अनुसूचित जातियों के साथ जातिगत भेदभाव की घटनाओं ने कानून और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ऐसी घटनाओं से संविधान में वर्णित कानूनों के अनुसार प्रतिबंध लगाना बहुत आवश्यक हो गया है। यदि समय रहते ऐसी घटनाओं और जातिवाद पर विराम नहीं लगाया गया तो भविष्य में इन घटनाओं को रोकना असंभव हो जाएगा जो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के न्याय के लिए बहुत ही आवश्यक है।
प्रतिनिधि मंडल में विशेष रूप से प्रदेश संगठन सचिव सी डी बंसल उपस्थित रहे। जिन्होंने पढ़े लिखे समाज द्वारा ऐसी घटनाओं को अंजाम देने पर बहुत दुःख जताया और कड़ी भर्त्सना की। अर्की मंडल से मंडलाध्यक्ष गंगा राम सहित मंडल कोषाध्यक्ष, करमचंद चंदेल, राजेंद्र कुमार और धनपत राम भी उपस्थित रहे।

