योग से रोग भागे,स्वस्थ बने शरीर।
न नजला,न जुखाम आए, न बीमारी गंभीर : भगतराम ठाकुर

योग दिवस विशेष

21 जून 2015 का वह दिवस एक यादगार दिवस है जिस दिन भारतीय योग पद्धति को पूरे विश्व में सम्मान मिला तथा पहचान मिली 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय हुआ इसमें भारत सरकार ने अहम भूमिका निभाई व योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई आजकल तो लोग घर-घर में योग क्रियाएं करते हैं बहुत सारे लोगों ने तो नियम बनाकर पैकेज रूप में योग की क्रियाएं तय की है भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में लोग योग के लाभों से प्रभावित हुए हैं।

प्रातः काल में दिन की शुरुआत योग के साथ करने से मन प्रसन्न तनावमुक्त व हल्का शरीर महसूस किया जाता है अपनी दिनचर्या में मन लगता है तथा खास बात यह है कि मैं स्वस्थ हूं यह भाव मन में रहता है। योग तो प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है परंतु अधिकतर समझ यह बन गई थी कि योग संत महंत ऋषि-मुनियों की श्रेणी में ही आता है इसको आम जनमानस का हिस्सा बताने में अहम भूमिका रही है तो योग गुरु बाबा रामदेव की रही है ।

अब तो जागरूकता दूर दूर के गांव तक इस कदर पहुंच चुकी है कि प्रातः टेलीविजन लगाकर हर घर में बाबा रामदेव के साथ लोग योगाभ्यास करना प्रारंभ कर देते हैं परंतु योग गलत ढंग से ना किया जाए अन्यथा इसके लाभों की जगह हानियां भी हो सकती है इसलिए जरूरी है कि बाबा रामदेव के अनुसार योग क्रियाएं की जाए या किसी भी योग शिक्षक से परामर्श लेकर योग करें योगाभ्यास सभी को एक ही प्रकार का हो ऐसा नहीं है विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए अलग-अलग योग क्रियाएं की जाती है तभी उस बीमारी का इलाज संभव है।जिन लोगों को कोई भी बीमारी नहीं है इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक शामिल है उन्हें भी अवश्य रुप में प्रतिदिन सामान्य योग क्रियाएं करनी चाहिए क्योंकि प्रतिदिन योग करने वाले स्वस्थ व्यक्ति को रोग आ ही नहीं सकता।


अक्सर देखा गया है कि छोटी-छोटी बीमारियों पर भी हम लोग एलोपैथिक दवाओं पर ही निर्भर रहते हैं एलोपैथिक इलाज पद्धति आज के समय में अवश्य रूप में उभरकर सामने आई है यह विज्ञान की लंबी छलांग है परंतु गंभीर बीमारियों की और हमारा शरीर ना जाए इसकी रोकथाम में योग प्रतिदिन करना अनिवार्य है इससे हमारे एलोपैथिक दवाओं पर निर्भरता कम हो जाएगी आजकल की भागदौड़ जिंदगी में लगता है कि समय कम है परंतु व्यक्ति भागदौड़ भी तभी कर सकता है जब स्वस्थ रहेगा अस्वस्थ होने पर हमारी सोच में नकारात्मकता आ जाती है हमें अपनी जिम्मेदारियों के पूर्ण करने की चिंता सताने लगती है जीवन में नीरसता का विचार पनप जाता है इन सभी प्रकार के विकारों, दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।


इंसान इस सुंदर से संसार में मनमोहक प्रकृति की छटा में ,स्वर्ग रूपी परिवार के संग में ,सामाजिक भाईचारे में आत्मविश्वास व प्रसन्न चित्त भाव मुद्रा के साथ जीवन जीने का आनंद ले सकता है परंतु हमारा तन मन स्वस्थ व प्रसन रहना चाहिए। योग केवल बड़ों को ही जरूरी है ऐसा नहीं छोटे बच्चों से योगाभ्यास प्राणायाम प्रारंभ करवाना अनिवार्य है क्योंकि आजकल के युवा वर्ग तो वैसे भी तनाव की समस्या से जूझ रहा है यहां तक कि ज्यादातर आत्महत्या में युवा वर्ग ही शामिल है युवा तो हमारे देश की ताकत है शक्ति है, देश का भविष्य है ,अगर यह वर्ग तनाव में रहेगा या किसी नशे का आदी होगा तो देश का बड़ा नुकसान है इसलिए इस युवा वर्ग में योग के महत्व ,योग से तनाव मुक्ति ,योग से नशा मुक्ति ,योग से रोग मुक्ति ,जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत करवाया जाए व प्रतिदिन योगाभ्यास के लाभों बारे जानकारी दी जाए तो इस वर्ग का ध्यान केवल और केवल अपने कार्य पर रहेगा चाहे वह पढ़ाई कर रहे हो या नौकरी कर रहे हो क्या अपना कोई व्यवसाय कर रहे हो

इसलिए आज आवश्यकता है कि योग को पाठशालाओं के माध्यम से भी हर घर तक पहुंचाया जा सकता है और पाठशाला में कार्यरत शिक्षकों को किसी योग शिक्षक के द्वारा प्रशिक्षित करवाने की व्यवस्था की जाए ताकि खेलकूद कालांश में योग क्रियाओं को भी शामिल किया जा सके व प्रशिक्षित अध्यापक की देखरेख में योगाभ्यास करवाया जाए
2023 का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मानवता से लिया गया है, मानवता से तात्पर्य विश्वबंदुता से है स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन वास करता है यदि मानव प्रसन्न चित्र रहता है तो वह दूसरे लोगों के साथ भी मधुर व्यवहार का बर्ताव करता है यदि व्यक्ति तनाव में रहता है तो वह समाज से दूरी बनाए रखता है वह दूसरे व्यक्तियों से विचार विमर्श करना उचित नहीं समझता जबकि प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि देश की उन्नति के लिए आपसी समूहों में संवाद हो प्रत्येक व्यक्ति का कार्य अपने लिए नहीं देश के लिए है ऐसा भाव हो। इस कार्य के लिए व्यक्ति का मानसिक संतुलन ठीक होना अनिवार्य है योग इस कार्य को काफी हद तक ठीक कर सकता है योग पर कोई खर्च नहीं है निशुल्क रूप से यह हमारी जिंदगी को तरोताजा रखने में सामर्थ्य वान है जिस तरह अनैतिक आदतें हमारे को बहुत जल्दी जकड़ लेती है और उससे बाहर निकलना हमें कठिन महसूस होता है अपनी आंतरिक शक्ति क्षीण होती है उस शक्ति को वापस लाने के लिए योग क्रियाएं सहायक सिद्ध हो सकती है योग हर परिवार में अपना घर बनाए तथा पीढ़ी दर पीढ़ी यह हमारे परिवारों ,समाज ,देश को जोड़ने में कड़ी का काम करें इसके लिए योग को सामूहिक करे और योग को अपनी दिनचर्या बनाना अनिवार्य ही नहीं आवश्यक भी समझे।
(भगत राम ठाकुर)
अर्की

LIC

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