ग्राम बातल की समृद्ध विरासत पर आधारित पुस्तक “अतीत का गौरव – बातल” का भव्य विमोचन

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- ग्राम बातल की अद्वितीय और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर पर केंद्रित पुस्तक “अतीत का गौरव – बातल” का विमोचन बातल ग्राम में आयोजित एक भव्य समारोह में हुआ। यह पुस्तक उन विभूतियों को समर्पित है, जिन्होंने ग्साहित्य, संगीत, ज्योतिष, और सामाजिक विकास जैसे क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त की।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे प्रसिद्ध टीवी एंकर पंकज भार्गव, जो स्वर्गीय संगीत निर्देशक एस.एस. शशि के सुपुत्र हैं। उन्होंने अपनी पत्नी अंजू पंकज और बच्चों के साथ कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने इस पुस्तक को ग्राम बातल के इतिहास और गौरव का जीता-जागता दस्तावेज़ बताते हुए युवाओं से आह्वान किया कि वे इस धरोहर को संरक्षित करें और अपनी प्रतिभा से दुनिया में नाम रोशन करें।

समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ विद्वान राम लाल शास्त्री ने की। इस अवसर पर डॉ. हेम राज कौशिक ने ग्राम बातल की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर पर अपने विचार साझा किए। लेखक कैलाश भार्गव और चेत राम भार्गव ने इसे एक ऐतिहासिक पहल बताया जो ग्राम बातल के गौरवशाली अतीत को 1847 से वर्तमान तक के सफर में प्रस्तुत करती है।

कार्यक्रम में प्रसिद्ध संगीतकार राजेंद्र सुमन, सहायक प्रोफेसर अमन शर्मा और सहायक प्रोफेसर रुचि ने अपने शानदार प्रदर्शन से समारोह को यादगार बनाया। मंच संचालन पूनम शर्मा ने कुशलता से किया।

टीवी एंकर अंजू पंकज ने लेखकों को बधाई देते हुए इस पुस्तक को ग्राम बातल की असाधारण धरोहर का प्रतीक बताया। इस दौरान ग्राम बातल की वयोवृद्ध महिलाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जो इस गांव की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की साक्षी रही हैं।

इस दौरान समारोह में स्थानीय पंचायत प्रधान उर्मिल शर्मा, उप प्रधान भारत भूषण,चमन लाल अंगिरष, धर्मपाल शर्मा, दिनेश शास्त्री,डॉक्टर हेमराज कौशिक,मुकेश कौशिक,इंदु शर्मा  पवन शर्मा, लेखराम भार्गव,सुखदेव भार्गव, पुष्पेन्द्र कौशिक,विनय भार्गव,सुभाष भार्गव,कुलदीप भार्गव सहित बड़ी संख्या में पंचायत  ग्रामवासी, गणमान्य व्यक्ति प्रतिनिधि उपस्थित थे।
यह पुस्तक,”अतीत का गौरव – बातल” न केवल ग्राम की पहचान को संरक्षित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रेरणास्रोत भी है।

LIC

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