घनागुघाट विद्यालय के 44 छात्रों की कविताओं का संकलन, सुनीता ठाकुर व पुष्पेन्दर कौशिक द्वारा सम्पादित ‘मेरे पिता, मेरे रक्षक’ प्रकाशित

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- साहित्यिक सृजनशीलता और भावनात्मक अभिव्यक्ति का अनूठा उदाहरण पेश करते हुए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय घनागुघाट ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम की है। विद्यालय के 44 प्रतिभाशाली छात्रों की कविताओं को संकलित करते हुए हिंदी प्रवक्ता सुनीता ठाकुर और अंग्रेज़ी प्रवक्ता पुष्पेन्दर कौशिक ने ‘मेरे पिता, मेरे रक्षक’ शीर्षक से एक कविता संग्रह का संपादन, संकलन और प्रकाशन किया है। यह संकलन राष्ट्रीय स्तर के प्रकाशन Everlasting Publication द्वारा प्रकाशित किया गया है, जो साहित्यिक रचनाओं की गुणवत्ता और व्यापक पहुंच के लिए जाना जाता है।


इस पुस्तक में सम्मिलित कविताएँ छात्रों के हृदय में बसे अपने पिता के प्रति प्रेम, सम्मान, मार्गदर्शन और त्याग की गहन भावनाओं को शब्दों में ढालती हैं। यह प्रयास न केवल विद्यार्थियों को रचनात्मक लेखन की ओर प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें अपनी आंतरिक भावनाओं को सशक्त और अभिव्यक्तिपूर्ण रूप से प्रस्तुत करने का अवसर भी देता है।


हिंदी प्रवक्ता सुनीता ठाकुर ने कहा कि विद्यालय में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देना उनका निरंतर प्रयास रहा है, और यह संकलन उसी का परिणाम है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के दौरान बच्चों ने लेखन के विभिन्न चरणों — विचार निर्माण, प्रारूप लेखन, संशोधन और अंतिम प्रस्तुति — को गंभीरता से अपनाया। उनका मानना है कि लेखन केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि विचारों और भावनाओं को आत्मा से जोड़ने की प्रक्रिया है, और छात्रों ने इसे पूरी निष्ठा से अपनाया।


अंग्रेज़ी प्रवक्ता पुष्पेन्दर कौशिक ने साझा किया कि इस संकलन को तैयार करने में विद्यार्थियों की सहभागिता और उत्साह देखते ही बनता था। उन्होंने बताया कि लेखन कार्यशालाएँ, समूह चर्चा, और समीक्षा सत्रों के माध्यम से छात्रों को मार्गदर्शन दिया गया, ताकि उनकी रचनाएँ विषय के अनुरूप और भावनात्मक रूप से प्रभावशाली बन सकें। उनका कहना है कि प्रत्येक छात्र ने अपने पिता के प्रति जो भावनाएँ कागज़ पर उतारीं, वे सच्चाई और संवेदनशीलता से परिपूर्ण हैं।


प्रधानाचार्य अजय शर्मा ने इस उपलब्धि पर विद्यालय परिवार की सराहना करते हुए कहा कि ‘मेरे पिता, मेरे रक्षक’ केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि छात्रों की रचनात्मक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की साहित्यिक पहल छात्रों के व्यक्तित्व विकास, भाषा कौशल और आत्मविश्वास को नई ऊँचाइयों तक ले जाती है। साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विद्यालय निरंतर छात्रों को ऐसे अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जहाँ वे अपनी छिपी हुई प्रतिभाओं को निखार सकें। इस अभिनव पहल की उप निदेशक, उच्च शिक्षा गोविंद सिंह चौहान व उप निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा, मोहन चंद पिरटा ने भी सराहना की है। दोनों अधिकारियों ने विद्यालय, शिक्षकों और छात्रों को इस रचनात्मक उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि इस प्रकार की पहल शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों को मूर्त रूप देती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की रचनात्मक परियोजनाएँ प्रदेश के अन्य विद्यालयों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।


इस संकलन के प्रकाशन ने विद्यालय के साहित्यिक वातावरण में नई ऊर्जा और रचनात्मकता का संचार किया है। Everlasting Publication द्वारा प्रकाशित ‘मेरे पिता, मेरे रक्षक’ आने वाले समय में न केवल विद्यालय के छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा, बल्कि यह अभिभावकों और समाज के लिए भी यह दर्शाएगा कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों और भावनात्मक संवेदनाओं के पोषण का माध्यम भी है।

LIC

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