ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- उपमंडल अर्की के अंतर्गत ग्राम पंचायत धुन्दन के बेमु भलेडा गांव में आत्मा परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में मास्टर ट्रेनर रूप लाल वर्मा और प्रगतिशील किसान राजेंद्र ठाकुर ने किसानों को शून्य लागत प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया।

मास्टर ट्रेनर रूप लाल वर्मा ने किसानों को रासायनिक खादों और कीटनाशकों से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन रसायनों का उपयोग न केवल खेत की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। उन्होंने पहाड़ी देशी नस्ल की गाय के गोबर, गौमूत्र और दूध की गुणवत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि इससे बनने वाले जीवामृत, घन जीवामृत जैसे जैविक उत्पाद खेतों के लिए अमृत समान हैं।

उन्होंने किसानों को अपने घरों में ही गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद बनाने की विधियां भी सिखाईं, जिनमें जीवामृत, सूखा घन जीवामृत और जीवा मृत शामिल हैं। किसानों को कीट नियंत्रण के घरेलू उपायों की भी जानकारी दी गई।
प्रगतिशील किसान राजेंद्र ठाकुर ने किसानों से आह्वान किया कि वे रसायनों पर खर्च न कर शून्य लागत प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें, जिससे न केवल लागत में कमी आएगी बल्कि उपज भी शुद्ध और पोषक होगी।

इस प्रशिक्षण शिविर में कुल 25 किसानों ने भाग लिया और उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए। शिविर के अंत में किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने की दिशा में गंभीरता से काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
यह शिविर किसानों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा बल्कि प्राकृतिक खेती की ओर एक सकारात्मक पहल भी साबित हुआ।



