बातल गांव के डॉ. हेमराज कौशिक को आजीवन उपलब्धि साहित्य सम्मान, राज्यपाल ने सराहा योगदान

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज – हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित आलोचक डॉक्टर हेमराज कौशिक जो अर्की उपमण्डल के गांव बातल के रहने वाले है, को हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा “आजीवन उपलब्धि साहित्य सम्मान-2024” से सम्मानित किया गया। यह गरिमामयी समारोह ऐतिहासिक गेयटी थिएटर, शिमला में आयोजित हुआ, जिसमें हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

डॉ. हेमराज कौशिक पिछले चार दशकों से साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। हिन्दी आलोचना विधा में उनका योगदान अतुलनीय है, और उनकी 17 से अधिक आलोचना पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें अमृतलाल नागर के उपन्यास, यशपाल का साहित्य, निर्मल वर्मा – व्यक्तित्व एवं कृतित्व, कथा की दुनिया – एक प्रत्यवलोकन, हिन्दी उपन्यास, हिन्दी कहानी और हिन्दी आलोचना – स्थिति एवं गति जैसी महत्वपूर्ण कृतियाँ शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, वे दिव्य हिमाचल के लिए हिमाचल की हिन्दी कहानियों पर एक साप्ताहिक श्रृंखला लिख रहे हैं, जिसमें से एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है और कई अन्य प्रकाशनाधीन हैं। वे आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी जुड़े रहे हैं तथा विभिन्न राष्ट्रीय साहित्यिक संगोष्ठियों में शोध आलेख प्रस्तुत कर चुके हैं।

डॉ. कौशिक ने हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में 37 वर्षों तक हिन्दी प्राध्यापक और प्रधानाचार्य के रूप में सेवा दी। उनके उत्कृष्ट शैक्षिक योगदान के लिए 1991 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अतिरिक्त, वे सरस्वती सम्मान, साहित्य सृजन सम्मान, वेदराम राष्ट्रीय पुरस्कार, इरावती सम्मान, डॉ. रामविलास शर्मा राष्ट्रीय सम्मान और हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण स्नेही और जगदीश बाली को भी साहित्य के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनके लेखन ने हिन्दी भाषा और साहित्य की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के अध्यक्ष एवं प्रख्यात साहित्यकार एस.आर. हरनोट ने कहा कि डॉ. हेमराज कौशिक का योगदान हिन्दी साहित्य को नई दिशा देने वाला है। उन्होंने कहा कि कौशिक जी की कृतियों ने आलोचना की परंपरा को समृद्ध किया है और यह सम्मान उनके चार दशकों के अथक साहित्यिक योगदान का प्रतीक है।

समारोह में विशेष अतिथि के रूप में प्रो. के. श्रीलता, वरिष्ठ प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, श्रीशंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालडी, केरल एवं एसोसिएट फैलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला ने शिरकत की

इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि डॉ. हेमराज कौशिक का हिन्दी साहित्य और आलोचना में योगदान अनुकरणीय है। उन्होंने साहित्यकारों को मिले इस सम्मान को हिन्दी साहित्य जगत के लिए गर्व की बात बताया।

इस गरिमामयी अवसर पर अनेक साहित्यकार, शिक्षाविद्, शोधार्थी और कला प्रेमी उपस्थित रहे। हिमालय मंच ने डॉ. कौशिक के रचनात्मक जीवन के लिए शुभकामनाएँ देते हुए उनके अमूल्य योगदान को सराहा।

LIC

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