ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज : हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायतों में संपत्तियों के आवंटन से जुड़ी अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए एक नया तंत्र लागू किया है। अब पंचायत प्रधान अपने स्तर पर ग्राम पंचायत की संपत्तियों को किराये या लीज पर नहीं दे सकेंगे। इसके बजाय, सरकार ने ब्लॉक, उपमंडल और जिला स्तर पर तीन अलग-अलग कमेटियां गठित की हैं, जो इन मामलों की देखरेख करेंगी।

नई कमेटियां और उनकी जिम्मेदारियां
- ब्लॉक स्तर पर विकास खंड अधिकारी (BDO) की अध्यक्षता में कमेटी होगी।
- उपमंडल स्तर पर उपमंडलाधिकारी (SDM) की अगुवाई में समिति बनेगी।
- जिला स्तर पर उपायुक्त (DC) के नेतृत्व में यह कार्य संपन्न होगा।
- इन कमेटियों में पंचायत इंस्पेक्टर, पंचायत सचिव और प्रधान भी सदस्य होंगे।
पहले पंचायत प्रधान ग्राम सभा के माध्यम से संपत्तियों को किराये पर देने का निर्णय लेते थे, जिससे कई बार मनमानी और पक्षपात की शिकायतें आती थीं। कई मामलों में पंचायतों को वर्षों तक लीज मनी या किराये का भुगतान नहीं मिला।
सरकार के अन्य बड़े फैसले
सरकार ने पंचायत व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए इससे पहले भी कई बड़े निर्णय लिए हैं:
- बीपीएल चयन प्रक्रिया में बदलाव – अब पंचायत प्रधान बीपीएल सूची तैयार करने की प्रक्रिया से बाहर रहेंगे। इसकी जिम्मेदारी बीडीओ और एसडीएम को दी गई है।
- निर्माण कार्यों की निगरानी – पंचायतों में निर्माण कार्यों को निर्धारित समयसीमा में पूरा करने का आदेश दिया गया है। यदि दो माह के भीतर कोई कार्य शुरू नहीं होता, तो इसे विकास खंड अधिकारी अपने अधीन लेकर पूरा करेंगे।
- विजिलेंस जांच के दायरे में आने वाले प्रधानों पर रोक – विजिलेंस के तहत जांच का सामना कर रहे पंचायत प्रधानों को चुनाव लड़ने से रोका जाएगा। इसके लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं, जिनके तहत एफआईआर दर्ज होने पर संबंधित प्रधान को पंचायत चुनावों से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
पंचायती व्यवस्था में पारदर्शिता का प्रयास
सरकार का मानना है कि इन सुधारों से पंचायतों में भाई-भतीजावाद और पक्षपात जैसी शिकायतों पर लगाम लगेगी। इससे सरकारी संपत्तियों का बेहतर उपयोग होगा और विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी।




