ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- श्याम प्यारे से जिसका गहरा संबंध होता है, उसके जीवन में घनश्याम की कृपा अवश्य बरसती है। लेकिन जहां संस्कारों की कमी होती है, वहां मनुष्य का पतन होना तय है। यह विचार श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कुनिहार में कथा वाचक आचार्य हेमन्त गर्ग ने अपने प्रवचन में व्यक्त किए।

आचार्य गर्ग ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति में संस्कारों की कमी है, तो इसका दोष उसकी माता पर जाता है। अगर व्यक्ति मूर्ख है, तो यह उसके पिता का दोष माना जाता है। कृपणता का दोष वंश से आता है, जबकि धन का अभाव व्यक्ति के अपने कर्मों का परिणाम होता है। इन चारों दोषों को दूर करने का एकमात्र उपाय भगवान के नाम का सहारा लेना है।

उन्होंने प्रह्लाद का उदाहरण देते हुए बताया कि राक्षस कुल में उत्पन्न होने के बावजूद, प्रह्लाद ने भगवान को प्राप्त कर लिया, क्योंकि उसे अटूट विश्वास था कि भगवान हर परिस्थिति में उसका साथ देंगे। लेकिन आजकल लोग मनुष्यों पर विश्वास तो कर लेते हैं, परंतु भगवान पर भरोसा नहीं करते, जो उनके पतन का मुख्य कारण बनता है।
आचार्य गर्ग ने कहा कि भक्त के जीवन में मीरा जैसी भक्ति, शबरी की तरह भगवान को पाने की तड़प, और ध्रुव की तरह अटल निश्चय होना चाहिए। तभी जीवन में कृष्ण का प्राकट्य होता है। आज की कथा में कृष्ण जन्म की विस्तृत कथा सुनाई गई, जिसे सुनकर सभी श्रोता आनंदित हो गए।




