ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज :-शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 26 सितंबर से हो रहा है जो कि 4 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। वहीं 5 अक्टूबर को विजयदशमी पर्व के साथ इस उत्सव की समाप्ति हो जाएगी। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ देशराज शर्मा ने बताया कि नवरात्र पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है इन नौ दिनों में विधिवत् कलश स्थापन करके अखंड ज्योति जला कर भगवती की अराधना की जाती है। दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ करना श्रेयस्कर माना जाता है।

कलश स्थापन शुभ मुहूर्त्त
ज्योतिष शास्त्रीय गणनानुसार कलश स्थापन शुभमुहूर्त्त प्रात: 06 बजकर 10 मिनट से 07 बजकर 52 मिनट तथ दूसरा अभिजित मुहूर्त्त 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच शुभ रहेगा।
शारदीय नवरात्रि तिथि निर्णय व समय सहित विक्रम संवत् २०७९ आश्विन प्रविष्टे १०से १९ तदनुसार 26/9/22से05/10/22 पर्यन्त :-
तिथि समय मातृस्वरूप दिनॉक आश्विन प्र.
प्रतिपदा 27:08 (मां शैलपुत्री) : 26/9/2022 १० सोम
द्वितीया 26:28 (मां ब्रह्मचारिणी) : 27/9/2022 ११मंगल
तृतीया 25:28 (मां चंद्रघंटा) : 28/9/2022 १२बुध
चतुर्थी 24:09 (मां कुष्मांडा) : 29/9/2022 १३गुरु
पंचमी 22:35 (मां स्कंदमाता) : 30/9/2022 १४शुक्र
षष्ठी 20:47 (मां कात्यायनी) : 01/10/2022 १५शनि
सप्तमी 18:47 (मां कालरात्रि) : 02/10/2022 १६रवि
अष्टमी 16:28 (मां महागौरी) : 03/10/2022 १७सोम
नवमी 14:21 (मां सिद्धिदात्री) : 04/10/2022 १८मंगल
दशहरा 12:00 (विजयादशमी ) : 05/10/2022 १९बुध
कन्या पूजन का शास्त्रोक्त विधान
एक वर्ष की कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए।
दो वर्ष – कुमारी – दुःख-दरिद्रता और शत्रु नाश
तीन वर्ष – त्रिमूर्ति – धर्म-काम की प्राप्ति, आयु वृद्धि
चार वर्ष– कल्याणी – धन-धान्य और सुखों की वृद्धि
पांच वर्ष – रोहिणी – आरोग्यता-सम्मान प्राप्ति
छह वर्ष – कालिका – विद्या व प्रतियोगिता में सफलता
सात वर्ष – चण्डिका – मुकदमा और शत्रु पर विजय
आठ वर्ष – शाम्भवी – राज्य व राजकीय सुख प्राप्ति
नौ वर्ष – दुर्गा – शत्रुओं पर विजय, दुर्भाग्य नाश
दस वर्ष – सुभद्रा – सौभाग्य व मनोकामना पूर्ति
कन्या पूजन विधि:-

सर्वप्रथम व्यक्ति को प्रातः स्नान करना चाहिए। उसके पश्चात् कन्याओं के लिए भोजन अर्थात पूरी, हलवा, खीर, चने आदि को तैयार कर लेना चाहिए । कन्याओं के पूजन के साथ बटुक पूजन का भी महत्त्व है, दो बालकों को भी साथ में पूजना चाहिए एक गणेश जी के निमित्त और दूसरे बटुक भैरो के निमित्त कहीं कहीं पर तीन बटुकों का भी पूजन लोग करते हैं और तीसरा स्वरुप हनुमान जी का मानते हैं |
एक-दो-तीन कितने भी बटुक पूजें पर कन्या पूजन बिना बटुक पूजन के अधूरी होती है।कन्याओं को माता का स्वरुप समझ कर पूरी भक्ति-भाव से कन्याओं के हाथ पैर धुला कर उनको साफ़ सुथरे स्थान पर बैठाएं।ॐ कौमार्यै नम: मंत्र से कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें । सभी कन्याओं के मस्तक पर तिलक लगाएं, लाल पुष्प चढ़ाएं, माला पहनाएं, चुनरी अर्पित करें तत्पश्चात् भोजन करवाएं।भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें।भोजन के बाद कन्याओं के विधिवत् कुंकुम से तिलक करें तथा दक्षिणा देकर हाथ में पुष्प लेकर यह प्रार्थना करे-मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
तब वह पुष्प कुमारी के चरणों में अर्पण कर उन्हें ससम्मान विदा करें।


इस बार पांचवें नवरात्र अर्थात् 30 सितंबर से 25 नवंबर 2022 तक शुक्र अस्त रहेगा। अस्त से तीन दिन पहले वार्धक्य और तीन दिन बाद तक शुक्र बाल्यत्व दोष शुभ कार्यों में वर्जित रहता है।यथा- विवाह ,मुंण्डन, जनेऊ आदि संस्कार, गृहारंभ, गृह प्रवेश, नया वाहनादि खरीदना वर्जित रहता है। प्राय: अन्य नित्य नैमितिक कृत्य पूजा पाठ तथा नवग्रह अनिष्ट पीड़ा शांति के निमित्त जपानुष्ठान आवश्यकतानुसार करते रहना श्रेयस्कर रहेगा।

