ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- राजकीय संस्कृत शिक्षण परिषद जिला शिमला के अध्यक्ष डॉ. प्रेम प्रकाश ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि हाल ही में लागू किए गए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) संबंधी नियमों पर पुनर्विचार याचिका दायर की जाए।

डॉ. प्रेम प्रकाश ने कहा कि ये नियम विशेष रूप से 2012 से पूर्व कार्यरत शिक्षकों को प्रभावित कर रहे हैं। उस समय हिमाचल में टेट परीक्षा संचालित नहीं होती थी, जिसके चलते कमीशन उत्तीर्ण शिक्षक बिना टेट के ही नियुक्त हुए थे। इसके अलावा बैचवाइज भर्ती के दौरान भी R&P नियमों में टेट की कोई अनिवार्यता नहीं थी। दशकों बाद अब पात्रता परीक्षा लागू करना और पहले से कार्यरत शिक्षकों की पात्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाना व्यावहारिक और तर्कसंगत नहीं है।

उन्होंने कहा कि बदलते शैक्षिक परिवेश में लंबे समय से कार्यरत शिक्षक अपने अनुभव से आज भी प्रभावी परिणाम दे रहे हैं। समय-समय पर भर्ती और पदोन्नति के नियम बदले जाते रहे हैं, लेकिन पूर्व से कार्यरत अध्यापकों पर कभी भी नए नियम नहीं थोपे गए। यह संवैधानिक दृष्टि से उचित नहीं है और शिक्षकों का मनोबल तोड़ने वाला है।

संस्कृत शिक्षण परिषद का मानना है कि प्रदेशभर में कार्यरत शिक्षक पूर्ण निष्ठा से शिक्षा के संवर्धन में लगे हैं। डॉ. प्रेम प्रकाश ने कहा कि सरकार को इसमें हस्तक्षेप कर पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए, ताकि शिक्षकों के हितों की रक्षा हो सके और शिक्षा जगत में सकारात्मक संदेश पहुंचे।



