ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज़- अर्की विधानसभा क्षेत्र में बिजली विभाग के अधिकांश कार्यालय पिछले पांच दशकों से निजी भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिससे सरकार को हर वर्ष लाखों रुपये किराए के रूप में खर्च करने पड़ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड सेवानिवृत्त पेंशनर्स कल्याण संगठन, उप इकाई अर्की के अध्यक्ष हेमेन्द्र गुप्ता और महासचिव सुशील गांधी ने इस गंभीर समस्या को उजागर करते हुए सरकार से मांग की है कि बिजली विभाग के कार्यालयों के लिए स्थायी सरकारी भवनों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।

संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 1973 में अर्की में बिजली विभाग का उपमंडल कार्यालय एक निजी भवन में स्थापित किया गया था। इसके बाद 1980 में जनसंख्या वृद्धि और क्षेत्रीय विस्तार को ध्यान में रखते हुए दाडला, कुनिहार और भूमती में भी नए उपमंडल कार्यालय खोले गए। दुर्भाग्यवश, आज़ादी के 78 वर्षों और स्थापना के 50 से अधिक वर्षों के बाद भी ये सभी कार्यालय आज तक निजी भवनों में ही कार्य कर रहे हैं। इससे न केवल विभाग को हर वर्ष लगभग ₹25 लाख रुपये किराए के रूप में चुकाने पड़ते हैं, बल्कि विभागीय कर्मचारियों और आम जनता को भी मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।

हेमेन्द्र गुप्ता ने कहा कि बिजली विभाग द्वारा वर्तमान में मंडल अर्की तथा उसके अधीन तीन उपमंडलों और 22 कनिष्ठ अभियंता कार्यालयों के लिए हर माह ₹2 लाख से अधिक किराया अदा किया जा रहा है। यह रकम सालाना ₹24 लाख से अधिक हो जाती है, जो अब तक करोड़ों में पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर यही धनराशि समय पर भवन निर्माण में लगाई जाती, तो आज विभाग के पास अपने स्वामित्व की आधुनिक भवन सुविधाएं होतीं।

महासचिव सुशील गांधी ने बताया कि संगठन द्वारा 9 सितंबर 2024 को एक प्रस्ताव पारित कर यह मांग मुख्यमंत्री को विधायक संजय अवस्थी के माध्यम से प्रेषित की गई थी। लेकिन दस महीने बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में गंभीरता दिखाते हुए अर्की विधानसभा क्षेत्र में बिजली विभाग के लिए स्थायी भवनों का निर्माण सुनिश्चित करना चाहिए।

पेंशनर्स संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो वे इस विषय पर सार्वजनिक मंचों पर व्यापक स्तर पर आवाज उठाने के लिए विवश होंगे। संगठन ने उम्मीद जताई है कि विधायक संजय अवस्थी इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष फिर से प्रभावी रूप में उठाएंगे और क्षेत्र के हित में कोई ठोस निर्णय शीघ्र लिया जाएगा।




