ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- उपमण्डल अर्की के ऐतिहासिक धुंदनेश्वर मठ में पारंपरिक महादंगल का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के नामी पहलवानों ने हिस्सा लेकर अपनी कुश्ती प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। यह दंगल मठ के मठाधीश ब्रह्मलीन बाबा अलखिया जी द्वारा वर्षों पूर्व आरंभ की गई परंपरा का हिस्सा है, जो आज भी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है।

इस महादंगल का आयोजन बाबा बलदेव पुरी जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों में विशेष उत्साह देखा गया। दंगल समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र ठाकुर ने जानकारी दी कि यह आयोजन क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान है और इसका उद्देश्य युवाओं को अखाड़े से जोड़ना और लोक परंपराओं को जीवित रखना है। उन्होंने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी दंगल को भव्य रूप से मनाने के लिए समिति ने विशेष तैयारी की थी।

कार्यक्रम में अर्की विकास समिति के संयोजक राजेन्द्र ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए। समिति की ओर से उन्हें शॉल, टोपी और स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने दंगल आयोजन को स्थानीय परंपराओं को सहेजने का प्रयास बताया और समिति को 11,000 रुपये की सहयोग राशि प्रदान की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन युवाओं को खेलों से जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं।

महादंगल में कुल चार मालियाँ रखी गईं। अंडर-17 श्रेणी में मंडी के सौरभ ने बागा के मुकेश को हराकर जीत दर्ज की। विजेता को ₹2,100 और उपविजेता को ₹1,700 की नकद राशि दी गई। दूसरी छोटी माली का मुकाबला घुमारवीं के सोनू और सुंदरनगर के जयपाल के बीच हुआ, जिसमें सोनू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। उसे ₹5,100 व उपविजेता जयपाल को ₹4,100 की राशि से नवाजा गया।

पहली छोटी माली का मुकाबला बिलासपुर के चिल्ला गांव के बलबीर और बागा के सोनू के बीच हुआ। इस मुकाबले में दोनों पहलवानों ने दमदार दांव-पेच दिखाए और दर्शकों की तालियों से माहौल गूंजता रहा। अंततः बलबीर ने मुकाबला जीतकर ₹11,000 की इनामी राशि प्राप्त की, जबकि उपविजेता सोनू को ₹9,000 की राशि दी गई।

दंगल का सबसे बहुप्रतीक्षित मुकाबला बड़ी माली का रहा, जिसमें सोनीपत के हरदीप और जीरकपुर के सुनील आमने-सामने थे। कड़े मुकाबले में हरदीप ने जीत दर्ज की। विजेता को ₹15,000 और उपविजेता को ₹13,000 की नकद राशि भेंट की गई।

इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्य कर्मचन्द कपिला, नीलकमल गुप्ता, रूपलाल ठाकुर, कर्मचन्द ठाकुर, त्रिलोक ठाकुर, वीरेंद्र सिंह, धर्मपाल, बाबूराम गौतम, मनोहर लाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग और ग्रामीण दर्शक उपस्थित रहे।

धुंदनेश्वर मठ का यह पारंपरिक दंगल जहां एक ओर युवाओं को अखाड़े से जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर लोकसंस्कृति को सहेजने और संजोने का माध्यम भी बनता है।




