ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में गेस्ट टीचरों की भर्ती के फैसले के खिलाफ आज एसएफआई (हिमाचल प्रदेश स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) राज्य कमेटी ने शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई ने प्रदेश सरकार की गेस्ट टीचर नीति को युवा और छात्र विरोधी बताते हुए इसकी आलोचना की और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।

एसएफआई का कहना है कि कांग्रेस सरकार लगातार युवा विरोधी फैसले लेकर प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी की ओर धकेल रही है। संगठन का मानना है कि प्रदेश सरकार ने पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अव्यवस्था के खिलाफ जिस बदलाव का वादा किया था, वह अब युवाओं के लिए शोषण और निराशा का कारण बन चुका है। एसएफआई ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार पूर्व भाजपा सरकार की तरह ही युवा विरोधी नीतियां लागू कर रही है, जो प्रदेश के विकास के लिए हानिकारक हैं।

एसएफआई के राज्य अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गेस्ट टीचरों के लिए जो नीति बनाई है, वह युवाओं के साथ धोखा है। 2013 में जब SMC के माध्यम से शिक्षक भर्ती की गई थी, तब भी यही स्थिति बनी थी। कई सालों तक उन युवाओं का शोषण हुआ और अब गेस्ट टीचर्स के साथ भी वही होगा। यह नीति प्रदेश के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
एसएफआई ने गेस्ट टीचर नीति को तत्काल समाप्त करने और NEP-2020 के वर्तमान रूप में कार्यान्वयन को वापस लेने की मांग की। संगठन ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में खाली पड़े सभी पदों को स्थायी रूप से भरने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।
इसके अलावा, एसएफआई ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने गेस्ट टीचर नीति को वापस नहीं लिया तो आने वाले समय में संगठन प्रदेश के युवाओं और छात्रों को एकजुट करते हुए इस नीति के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू करेगा, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रदेश सरकार की होगी।
एसएफआई ने प्रदेश सरकार से यह भी मांग की कि गेस्ट टीचर्स और आउटसोर्स के बजाय स्थायी और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाए ताकि प्रदेश के युवाओं को स्थायी रोजगार मिल सके।




