शिक्षा विभाग के आदेश भेदभावपूर्ण, हर विषय का अपना महत्व: भास्करानंद

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- शारीरिक शिक्षक संघ ने प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के उस आदेश की आलोचना की है, जिसमें गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने और अन्य विषयों के शिक्षकों (सी एंड वी) को ऐसे कार्यों में लगाने की बात कही गई है। संघ का कहना है कि यह निर्णय पक्षपातपूर्ण और अनुचित है, जो शिक्षा प्रणाली में असंतुलन पैदा करता है।

संघ के जिला अध्यक्ष भास्करानंद ने कहा कि आदेशों में परख सर्वेक्षण का हवाला दिया गया है, लेकिन इसका दायरा सीमित रखा जाना चाहिए था। यदि परख सर्वेक्षण के आधार पर निर्णय लिए गए हैं, तो विभाग को यह भी देखना चाहिए कि भाषा के विकास के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, क्योंकि भाषा के बिना अन्य विषयों का अध्ययन संभव नहीं।

शारीरिक शिक्षकों का कहना है कि वे हिमाचल की लोक संस्कृति और योग जैसे विषय पढ़ाने के साथ-साथ खेलों में भी छात्रों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का काम करते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सी एंड वी शिक्षक हर विद्यालय की धुरी होते हैं, लेकिन उनसे ही अधिकतर गैर-शैक्षणिक कार्य करवाए जाते हैं।

संघ ने मांग की है कि यदि विभाग को टीजीटी शिक्षकों के बराबर कार्य लेना है, तो वेतन भी समान दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सभी विषयों का समान महत्व होना चाहिए और प्राथमिक शिक्षा के उन्नयन पर ध्यान देना चाहिए।

संघ ने शिक्षा निदेशक से अपील की है कि ऐसे निर्णय लेने से पहले मान्यता प्राप्त संगठनों से चर्चा की जाए, ताकि धरातल पर बेहतर परिणाम देखने को मिलें और शिक्षक वर्ग आहत न हो।

LIC

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