ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- अर्की उपमण्डल के अंतर्गत चढ़ेरा-बैंजहट्टी में चल रही दिव्य भागवती गंगा कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य रसिक जी महाराज ने अपनी ज्ञानवाणी से श्रोताओं को आध्यात्मिक गहराई में गोता लगवाया। व्यासगद्दी से अमृतवर्षा करते हुए उन्होंने शास्त्रों की महत्ता और कर्मकांडों की विधि-निषेध पर गहन प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि सभी ऋषि-मुनियों ने अपनी साधना में कर्मकांडों से ऊपर उठकर वैदिक कर्मकांडों का पालन किया। महापुरुषों ने भगवान की कथाओं का श्रवण और मनन कर अपने जीवन को सार्थक किया है। जो भी व्यक्ति भगवान के नाम का स्मरण करता है, वही सच्चे अर्थों में मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
उन्होंने शास्त्रों के महत्व पर बल देते हुए कहा कि शास्त्र हमारे जीवन के हर पहलू को विधिपूर्वक चलाने का मार्ग दिखाते हैं। शास्त्रों में प्रत्येक कार्य की विधि और निषेध की स्पष्ट जानकारी मिलती है और जो भी इस मार्गदर्शन का पालन नहीं करता, उसके कार्य निष्फल हो सकते हैं। अतः हमें शास्त्रों का नियमित अध्ययन कर अपने जीवन को धर्म और मर्यादा की राह पर ले जाना चाहिए। शास्त्रों का सही पालन ही जीवन को सच्ची दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है।
चतुर्थ दिवस की कथा का विशेष आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव रहा, जिसे भक्तों ने उत्साह और भक्ति के साथ मनाया। भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का स्मरण कर, भजन-कीर्तन और मंगल गीतों के साथ पूरा वातावरण आध्यात्मिक आनंद में सराबोर हो गया। भक्तजन उत्सव के इस पावन क्षण में आनंदित हो उठे और जन्मोत्सव की इस दिव्यता ने कथा में एक नए उल्लास का संचार कर दिया।
कथा के इस विशेष दिन ने भक्तों को न केवल शास्त्रों की महत्ता से अवगत कराया, बल्कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के हर्षोल्लास ने सभी को आध्यात्मिक परमानंद की अनुभूति कराई।