ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- उपमण्डल अर्की के अंतर्गत ग्राम पंचायत कुनिहार के नगर गांव में पिछले पांच दिनों से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन निशा पत्नी अशोक शर्मा द्वारा अपने नवगृह प्रवेश के उपलक्ष्य पर करवाया गया है। इस कथा में कथा वाचक प्रसिद्ध आचार्य दलीप कुमार गौत्तम चंडी वाले अपनी मधुर वाणी से प्रवचनों से श्रद्धालुओं में ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर रहे हैं।
कथा के पांचवें दिन आचार्य दलीप कुमार गौत्तम ने अपने प्रसंग में कहा कि ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीराम को परामर्श दिया कि रावण से युद्ध में विजय होने के लिए और रावण के वध के लिए मां चंडी देवी का पूजन करना होगा। श्री राम ने ब्रह्मा जी के बताए अनुसार मां चंडी का पूजन हवन आरंभ कर दिया। हवन में आहूति देने के लिए दुर्लभ
108 नीलकमलों की व्यवस्था की गई थी। रावण को भी अपने दूतों द्वारा सूचना मिल गई थी। रावण ने अपनी माया से उन नीलकमलों में से एक नील कमल गायब कर दिया, ताकि आहूति पूरी न हो सके। इधर भगवान श्रीराम को चिंता बढ़ने लगी कि कहीं चंडी देवी रूष्ठ न हो जाए। भगवान श्रीराम ने कहा कि मैं अपनी कमल नयन को क्यों न अर्पित करूं। जैसे ही भगवान श्रीराम ने अपनी आंख के नयन निकालने के लिए बाण निकाला और मां चंडी प्रकट हो गई और श्रीराम भगवान का हाथ पकड़ लिया। मां चंडी ने कहा कि हे राम मैं आपसे बहुत प्रसन्न हूँ और मां चंडी ने भगवान श्रीराम को विजयश्री का वरदान दिया। मां चंडी वरदान देकर अंतरध्यान हो गई। आचार्य दलीप कुमार गौत्तम ने श्रीराम भगवान तथा कृष्ण भगवान की कई लीलाओं का अपने प्रसंग में उल्लेख किया। दूसरे प्रसंग में आचार्य ने कहा कि यमुना नदी में कालिया नाग ने आंतक मचाया हुआ था और उसके विष से नदी का पानी विशयुक्त हो गया था। यमुना नदी का पानी पीने से अनेकों पशुओं, पक्षियों और मनुष्य की मृत्यु हो जाती थी। इस दुखद घटना की सुनते ही श्रीकृष्ण ने तीन दिन तक कालिया नाग से युद्ध किया और यमुना नदी को स्वच्छ बनाया। कथा आयोजक अशोक शर्मा ने कहा कि यह श्रीमद्भागवत कथा 22 फरवरी को पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगी। कथा का प्रवचन का समय रोजाना दोपहर एक बजे से सांय 4 बजे तक रहेगा। इसके बाद प्रतिदिन भंडारे का वितरण किया जा रहा है। यह जानकारी विश्व मंगलम सेवा धाम के मीडिया प्रभारी डीडी कश्यप ने प्रेस को जारी बयान में दी है। डीडी कश्यप ने स्थानीय पंचायतों के लोगों से आग्रह किया है कि वह इस श्रीमद्भगवत कथा का श्रवण करने के लिए नगर गांव में पहुंचें और जीवन में पुण्य कमाएं।