ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- अर्की नगर पंचायत के वार्ड नम्बर एक के निवासी नरेंद्र गुप्ता के आकस्मिक निधन की खबर से पूरे नगर में शोक की लहर है। गुप्ता शिक्षा विभाग से प्रधानाचार्य के पद से अप्रैल माह में ही सेवानिवृत्त हुए थे।
उन्होंने वर्ष 1988 में टीजीटी अध्यापक के तौर सबसे पहले राजकीय उच्च विद्यालय घड़याच में अपनी सेवाएं प्रदान की। अपने 34 वर्षो के कार्यकाल में उन्होंने भूमती,कुनिहार, बुघार,नेरवा और डुमैहर में अपनी सेवाएं प्रदान की। जहां वे विद्यार्थियों के लिए एक अच्छे और बेहतर अध्यापक थे, वहीं विभिन्न सामाजिक कार्यो में भी अपना योगदान देते थे। अध्यापक के तौर पर विद्यार्थियों में उनकी छवि बहुत ही अच्छी रही। उनके निधन से जहां अर्की नगर में शोक की लहर है वहीं उनके शिष्यों को भी उनके निधन की खबर से गहरा आघात लगा है। उनके शिष्य सोशल मिडिया में कुछ यूं दे रहे उन्हें श्रद्धांजलि,,,,,
बता दें कि वे इसी वर्ष अप्रैल माह में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
उनके पिता महेंद्र गुप्ता अर्की नगर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी है और ये तीन भाइयों में सबसे बड़े थे।
इनके निधन पर अर्की के विधायक संजय अवस्थी, पूर्व विधायक गोविंदराम शर्मा, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रत्नसिंह पाल्, भाजपा नेत्री आशा परिहार, डीके उपाध्याय,नगर पंचायत अध्यक्ष हेमेंद्र गुप्ता,उपाध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा,पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष एवं व्यापार मंडल अर्की के अध्यक्ष अनुज गुप्ता,चम्यावाल पंचायत के पूर्व प्रधान परमिंद्र ठाकुर,समाजसेवी रोशनलाल वर्मा,मानव कल्याण समिति अर्की के संयोजक डॉ संतलाल शर्मा सहित समस्त नगरवासियों ने गहरा शोक प्रकट किया है और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है।
दिवंगत नरेंद्र गुप्ता निहायत ही शरीफ तथा कड़े स्वभाव के लिए जाने जाते रहे हैं। उनसे मिलने वाले सभी लोगों का कहना है कि वह नियम के कड़े व पक्के थे। हर समय विद्यालय तथा विद्यार्थी हित के बारे में मंथन करते रहना तथा उसे कार्य रूप देने के लिए किसी की भी परवाह ना करना उनकी सबसे बड़ी खासियत रही है।राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के प्रवक्ता विजय भारद्वाज के अनुसार विद्यालय स्टाफ तथा विद्यार्थी नरेंद्र गुप्ता जी के आकस्मिक देहावसान से गमगीन हैं। सभी अध्यापक उनकी कार्यशैली के मुरीद हैं। बच्चों ने अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि प्रधानाचार्य के पद पर होने के बावजूद दिवंगत नरेंद्र गुप्ता जी खाली पीरियड में विद्यार्थियों को पढ़ाने पहुंच जाते थे।यही नहीं विद्यार्थियों ने पानी पीने अथवा शौच के लिए जाना होता था तो सर की शर्त होती थी कि पहले प्रश्न का उत्तर सुनाओ तभी पानी पीने भेजते थे। उनके इस अनूठे अंदाज के चलते विद्यार्थियों को प्रश्नों के उत्तर याद करने ही पढ़ते थे जो परीक्षा के दौरान उनके बहुत काम आते थे।विद्यालय स्टाफ तथा समस्त विद्यार्थियों ने 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत नरेंद्र गुप्ता जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए तथा उनकी आत्मा की परमगति के लिए प्रार्थना की है।