दैनिक हिमाचल न्यूज- दी माइनिंग एरियाज लैंड लूजर एवं प्रभावित परिवहन सभा दाड़लाघाट में 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चुनाव सम्पन्न हुए। सभा सदस्य राकेश शर्मा ने बताया कि चुनाव प्रक्रिया में कई अनियमितताएं सामने आईं,जिनकी जानकारी समय-समय पर निर्वाचन अधिकारी और विभाग को दी गई,लेकिन कोई उचित कार्यवाही नहीं की गई।

इसका परिणाम यह हुआ कि सभा के 5 वार्डों में से 2 वार्डों को जबरन निर्विरोध घोषित कर कार्यकारिणी का गठन किया गया,जो नियम और कानून के खिलाफ था। विशेष रूप से वार्ड संख्या 3 के राकेश शर्मा और वार्ड संख्या 5 के कांसीराम को पहले अयोग्य घोषित किया गया। दोनों सदस्यों ने सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं सोलन में याचिका दायर की, जिसके बाद एआरसीएस सोलन ने उन्हें योग्य मानते हुए 05 और 06 अगस्त को अंतरिम राहत दी और चुनाव लड़ने की अनुमति दी।

हालांकि, संबंधित वार्ड उम्मीदवारों ने इस आदेश को आरसीएस शिमला में चुनौती दी। इसके चलते दोनों सदस्यों को पुनः चुनाव लड़ने से रोका गया। आदेश 13 अगस्त को मात्र 12 घंटे पहले सभा में जमा किया गया, जबकि चुनाव अगले दिन निर्धारित था। अंततः जबरन निर्विरोध घोषित सदस्यों के सहयोग से 14 अगस्त को कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसके बाद आयोग्य घोषित सदस्यों द्वारा आरसीएस शिमला में याचिका दायर की गई, जिसमें निर्णय हुआ कि जबरन निर्विरोध घोषित किए गए सदस्यों पर विभाग द्वारा पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। इस बीच एआरसीएस सोलन गिरीश नड्डा का कहना है कि दी माइनिंग एरियाज लैंड लूजर एवं प्रभावित परिवहन सभा दाड़लाघाट की कार्यकारिणी का गठन हुआ था। लेकिन आरसीएस शिमला ने इस कार्यकारिणी के दो सदस्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इस कार्यकारिणी में सिर्फ तीन सदस्य बचे हैं।



