ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् ने संसद में डीएमके नेता दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा के विरुद्ध दिए गए आपत्तिजनक बयान की कड़ी निंदा की है। परिषद् के पदाधिकारियों ने इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा पर सीधा हमला करार दिया।

परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल, महासचिव डॉ. अमित शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. जंगछुब नेगी, महिला संयोजिका अर्चना शर्मा समेत विभिन्न जिलों के अध्यक्षों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषा और ज्ञान परंपरा की आत्मा है। इस भाषा का विरोध भारतीय संस्कृति, सभ्यता और विरासत का अपमान है।

उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं, बल्कि विज्ञान, गणित, चिकित्सा, दर्शन, योग, आयुर्वेद और साहित्य की आधारशिला भी रही है। यूनेस्को सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने इसे विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा माना है। ऐसे में संसद में इसके खिलाफ टिप्पणी करना अस्वीकार्य है।

परिषद् ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा संसद में संस्कृत को प्रोत्साहित करने के प्रयासों की सराहना की। साथ ही, केंद्र सरकार से मांग की कि संस्कृत भाषा का अनादर करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भारतीय भाषाओं के संरक्षण के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं।


