ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज: अर्की उपमंडल में किन्नरों द्वारा विवाह/शादियों व खुशी के विभिन्न अवसरों पर मनमाने ढंग से पैसों की मांग की लोगों द्वारा अक्सर शिकायतें आती रहती है। ये लोग गांवों में अक्सर विभिन्न खुशी के अवसरों पर पहुंच जाते और जिद्द करके मनमानी राशि वसूलते हैं। कई लोगों के पास इतनी राशि देने के लिए भी नहीं होती। ये लोग ऐसे में उन्हें दिक्कतें करते हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए दाड़लाघाट के निकटवर्ती ग्राम पंचायत कोटलु व ग्याना पंचायत में एक बैठक हुई। कोटलु पंचायत की प्रधान नर्मदा देवी की अध्यक्षता मे बैठक में गांव में किन्नरों के प्रवेश हेतु रोक लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
ज्ञात रहे कि पंचायत प्रधान कोटलु को पंचायत के सभी महिला मंडलों ने शिकायत पत्र दिया कि उनके गांव में विवाह,शादी व किसी के घर में बच्चा होने पर किन्नर धमक जाते हैं और ग्रामीण महिलाओं से मनमाने पैसे मांगते हैं,गांव के जो गरीब लोग उनकी मनचाही रकम पूरी नहीं कर सकते,उन्हें वे बुरी बुरी बद्दुआएं देने लगते हैं और गंदी गंदी हरकतें कर सीधे-साधे लोगों को लूट लेते हैं,कोटलु के सभी महिला मंडलों ने पंचायत प्रधान से गुहार लगाई है कि किन्नरों के गांव में प्रवेश करने पर रोक लगाई जाए। ताकि ग्रामीण इस परेशानी से बच सकें। इन शिकायत पत्रों को मिलने के बाद कोटलु पंचायत प्रधान नर्मदा शर्मा ने एक बैठक का आयोजन किया। बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि उपायुक्त सोलन,एसडीएम अर्की व डीएसपी दाड़ला के कार्यालय में इस प्रस्ताव को शीघ्र ही प्रेषित किया जाए ताकि किन्नरों के मनमाने रवैया पर रोक लगाई जा सके। लोगों ने यह भी मांग की है कि किन्नरों की न्यूनतम राशि 500 या 11 सौ रुपये स्थायी की जाए ताकि किन्नर भोले भाले लोगों को अपनी हरकतों तथा बददुआओंओं का शिकार ना बना सके। वही दूसरी ओर ग्याना पंचायत ने किन्नरों द्वारा शादी विवाह से लेकर संतान जन्म के समय ली जाने वाली बधाई राशि की सीमा तय कर दी है। किन्नराें को ग्यारह सौ से अधिक राशि नहीं दी जाएगी।
आयोजित बैठक में ग्याना पंचायत के सदस्यों ने सर्वसम्मति के साथ निर्णय लेते हुए कहा कि ग्रामीणाें की तरफ से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि किन्नर बधाई शुल्क को लेकर कमजोर आर्थिक स्थिति होने के बावजूद लोगों से 5100 रुपये से लेकर 11 हजार रुपये तक की राशि वसूलते हैं। पंचायत प्रधान ग्याना कर्म चन्द ने कहा कि सर्वसम्मति प्रस्ताव के तहत इस राशि को 1100 रुपये किया जाता है। यदि इससे अधिक राशि वसूलने को लेकर दबाव बनाया जाता है तो इस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।