जब तक है मन मे द्वेष भाव, उपदेश सुनने का नहीं कोई लाभ : मनोज भारद्वाज

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- जब तक है मन में द्वेष भाव उपदेश सुनने का कोई लाभ नहीं यह शब्द बढ्लग के समीप खारशी गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में अमृत ज्ञान गंगा का भक्तों को रसपान करवा रहे पंडित मनोज भारद्वाज ने अपनी मधुर अमृतवाणी से कहे।

इस कथा की विस्तृत जानकारी देते हुए कथा आयोजक मीना देवी ने बताया की यह कथा व अपने पति के स्वर्गीय महेश शर्मा के चतुर वार्षिक श्राद्ध के उपलक्ष में कथा का आयोजन करवाया जा रहा है। इस कथा में सैकड़ों भक्तजन इस ज्ञान रूपी गंगा में निहाल हो रहे हैं l कथावाचक ने अपने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा की श्रीमद् भागवत कथा में बहुत से प्रसंग आते है जिस को अपने जीवन उतारना चाहिए।वही आज की कथा के प्रसंग में उन्हों ने कहा की
एक भिक्षुक भिक्षा मांगने जाया करते थे। एक दिन वह एक घर से भिक्षा मांगने के लिए आवाज दी।

भिक्षा दे माते ,घर की महिला बाहर आई और भिक्षुक के कमंडल में काजू ,बादाम और पिस्ता की बनी खीर डालने लगी। तभी उसने देखा की कमंडल में कूड़ा भरा पड़ा है। उसके हाथ भिक्षा देने से रोककर। वह बोली महाराज आपका यह कमंडल तो गंदा है। इसमें तो कूड़ा कचरा भरा है। भिक्षुक बोले हां गंदा तो है लेकिन तुम इसमें ही खीर डाल दो । उसने कहा नहीं महाराज अगर मैंने इसी गंदे कमंडल में खीर डाल दी तो वह खराब हो जाए गी। फिर वह आपके खाने लायक नहीं रहेगी। भिक्षुक ने उस महिला से पूछा तुम चाहती हो कि जब यह कमंडल साफ हो जाएगा तभी तुम अपनी खीर इस में डालोगी ।

महिला ने कहा हां महाराज तभी तो खीर आपके खाने योग्य रहेगी। महाराज ने कहा जिस तरह से मेरे इस गंदे कमंडल में खीर डालने से खीर मेरे खाने योग्य नहीं रहेगी। ठीक उसी तरह से मेरा उपदेश भी तुम्हारे लिए तब तक अनुपयोगी रहेगा। जब तक तुम्हारे मन में संसार के प्रति द्वेष भाव और चिंताओं का कूड़ा कचरा और बुरे संस्कारों का गोबर भरा रहेगा। ओर तब तक मानवत्व नहीं सुधरेगा। हमें अपने मन में किसी के प्रति द्वेष भावना नहीं रखनी चाहिए। वहीं आज कथा सत्संग में सत्य प्रकाश शर्मा, रितेश शर्मा, उदित शर्मा, शशि पाल शर्मा, मनोज शर्मा, गोपाल, मोनिका,सत्या देवी, रामेश्वरी देवी, कांता जोशी, वीना शर्मा व शांता शर्मा आदि लोगों ने भी कथा का श्रवण कर पुण्य के भागी बने।

LIC

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