ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- अर्की कल्याण संस्था की कार्य समिति ने बाघल होटल दाड़लाघाट को निजी क्षेत्र में लीज पर देने के निर्णय पर रोक लगाने की मांग उठाने का निर्णय लिया है।

अर्की कल्याण संस्था के सयोंजक सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि बाघल होटल दाड़लाघाट का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है और इसे निजी क्षेत्र में देने से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। संस्था प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर रोक लगाने के लिए प्रदेश के राज्यपाल को शीघ्र ही एक ज्ञापन सौप ने जा रहीं हैं जिसमें संस्था की ओर से दिए जाने वाले ज्ञापन में इस होटल् के भौगोलिक,व्यवसायिक,धार्मिक और भावनात्मक कारणों को शामिल किया है। संस्था उनसे आग्रह करेगी कि इस होटल को पर्यटन विकास निगम के नियंत्रण में ही रखा जाए।

अर्की कल्याण संस्था के सयोंजक सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि बाघल होटल शिमला से 40 किमी दूरी पर दाड़लाघाट में स्थित है और इसका निजी क्षेत्र में जाने से शिमला से सुंदर नगर और बिलासपुर तक कोई भी निगम का होटल नहीं रहेगा। होटल की अनदेखी और रखरखाव की कमी के कारण आय प्रभावित हुई है,जिसमें गत 1996 के बाद से कोई प्रभावी कार्य नहीं हुआ है। बाघल रियासत के ईष्ट देवी-देवताओं के मूल स्थान और बाघल नाम की विरासत को निगम के नियंत्रण में ही रखा जाना चाहिए। दाड़लाघाट में एशिया के सबसे बड़े अंबुजा सीमेंट उद्योग और अन्य उद्योगों के कारण इस होटल की आय बढ़ने की संभावनाएं हैं।

ठाकुर का कहना है कि होटल के विस्तारीकरण के लिए मैरिज हॉल के निर्माण से आय में भारी इजाफा हो सकता था,लेकिन निगम ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बे साइड एमीनीटी होटल का अनावश्यक बोझ बाघल होटल पर है,जिसमें घाटे का मुख्य कारण है। वर्ष 2019 में इस होटल की वार्षिक आय लगभग 95 लाख थी,जो घटते-घटते मार्च 2025 तक 85 लाख हो गई। होटल की जर्जर हालत और अभी भी इस भवन की छतों से अन्दर बारिश का पानी टपकता है,जो इस होटल की आय को प्रभावित करता है।

इन सीमेन्ट उद्योगों में परिवहन,सरकारी सभाओं की सम्भावित बैठकों,इनके लिए ट्रांसपोर्ट बीमा कम्पनीयों, ट्रासंपोर्ट जगत से जुड़े टाटा मोटर,अशोका लेलैंड,भारतबैज महेन्द्रा सहित सभी बड़ी कम्पनीयों के बड़े अधिकारी भी अपने व्यवसाय के संबंध में दाड़लाघाट तथा आस-पास आते रहते हैं और इसी होटल में रुकना चाहते हैं। परन्तु होटल की जर्जर हालत के कारण नहीं रूक पाते हैं जोकि आय को प्रभावित करता है। सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि उच्च वेतनमान वाले कर्मचारियों की नियुक्ति के कारण भी होटल की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। अर्की कल्याण संस्था के सयोंजक सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि जल्द ही राज्यपाल से मिलकर अनुरोध करेंगे कि वे हिमाचल प्रदेश सरकार को इस निर्णय को वापस लेने और बाघल होटल को पर्यटन विकास निगम के अधीन ही संचालित करें।



