ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- आज चितकारा पार्क कैथू में एसएफआई (Students’ Federation of India) शिमला जिला इकाई का 37वां सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में विभिन्न महाविद्यालयों और विद्यालयों से 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश राज्य सचिव कामरेड दिनीत देंटा ने किया।
सम्मेलन में कामरेड दिनीत देंटा ने देश और प्रदेश में समावेशी और समतामूलक शिक्षा व्यवस्था पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा को एक वस्तु के रूप में बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन महाविद्यालयों और विद्यालयों में 3000 से कम विद्यार्थी हैं, उन्हें बंद किया जा रहा है, और वर्तमान समय में देश में लगभग 13 करोड़ बच्चे शिक्षा से वंचित हैं।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के शैक्षणिक स्तर पर गिरावट की भी आलोचना की, जिसमें 2020-21 में 200 से अधिक फर्जी प्रोफेसर की भर्ती की गई थी। यह घटनाएं शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को बढ़ावा दे रही हैं।
सम्मेलन में कई प्रस्तावों को पेश किया गया, जिनमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को वापस लेने, लिंग संवेदनशील कमेटी बनाने, छात्र संघ चुनाव बहाल करने, महिलाओं पर बढ़ते हमले, बढ़ती बेरोजगारी, देश और प्रदेश में बढ़ती सांप्रदायिकता और नफरत, और नशे की चपेट में बढ़ते युवा जैसे मुद्दे शामिल थे। इन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई।
एसएफआई शिमला जिला सचिव कामरेड कमल ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा बेरोजगार राज्य बन चुका है और शिक्षा के मामले में प्रदेश 21वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में शिक्षा को व्यवसाय की तरह बेचा जा रहा है और प्रदेश में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन प्रदेश के 9 लाख बेरोजगार युवाओं के लिए आंदोलन की दिशा तैयार करेगा।
एसएफआई शिमला जिला इकाई ने इस सम्मेलन के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा और रोजगार के मुद्दों पर जन जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया और आगामी दिनों में इन मुद्दों पर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।