पत्रकारिता नौकरी नहीं मिशन है, तख्त पलट का रखता है दम, इसलिए लोकतंत्र का मजबूत होना जरूरी: सत्ती

ब्यूरो// दैनिक हिमाचल न्यूज़

राष्ट्रीय प्रेस दिवस व नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के स्वर्णिम जयंती समारोह के अवसर पर ऊना में आयोजित कार्यक्रम में हिमाचल वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि पत्रकार हमेशा सच्चाई की लड़ाई लड़ते है। जिसमें मुश्किलें व चुनौती जरूर आई लेकिन सकारात्मक पक्ष ये है कि अंत मे जीत सच की होती है, जिससे सकून मिलता है।

उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से आये पत्रकारों का स्वागत किया और प्रेस दिवस की बधाई दी और कहा कि हिमाचल राज्य छोटा जरूर है पर सुंदर है। पहला परम् वीर चक्र हिमाचल के वीर सपूत को मिला। कारगिल में भी पूरा देश एक तरफ ओर हिमाचल एक तरफ। दो परम् वीर चक्र हिमाचल के वीर सपूतों को मिले। देवभूमि वीरों की भी भूमि है।


लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के अधिकारों व उनकी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से बात करेंगे। सीएम और संगठन के बीच वार्ता करवाएंगे।
उन्होंने कहा कि ऊना में वह अपने स्तर पर पत्रकारों की सुविधा के लिए कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में मल्टी परपस काम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। जिसमें पत्रकारों को दफ्तर उपलब्ध होंगे साथ ही अग्रणी एनजीओ को कार्यालय दिए जाएंगे।

एक छत के नीचे जहां पत्रकार मिलेंगे वहीं एनजीओ के सहयोगी भी उपलब्ध होंगे जो जनता की आवाज़ उठाएंगे। इसमें पार्किंग का निर्माण भी किया जाएगा।

जबकि प्रदेश व अन्य जिलों के पत्रकारों के लिए ऐसी सुविधाएं देने को सीएम से बात करेंगे।
उन्होंने कहा कि मीडिया न होता तो कोविड के दौर में कई जानें चली जाती। इस कठिन दौर में मीडिया की भूमिका अहम रही है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों का वेतन बहुत कम होता है क्योंकि ये नौकरी नहीं एक मिशन है जिससे बड़े बड़े तख्त पलट जाते है। इसलिए लोकतंत्र का मजबूत होना जरूरी है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी ने प्रेस दिवस के मौके पर अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि प्रेस का पूरा परिदृश्य बदल गया है पहले प्रेस थी अब मीडिया है। पिछले कई सालों से मांग की जा रही है कि मीडिया कॉउंसिल बने। जिसके लिए कई बार ज्ञापन सौंपने के साथ ही प्रदर्शन भी किये।
वर्तमान में सोशल मीडिया भी पत्रकारिता पर हावी हो गया है। राज्यों में मान्यता देने वाली सख्तियों को खत्म कर दिया है। हर क्षेत्र में गिरावट आई है लेकिन मीडिया में जो गिरावट आई है उसका पूरे समाज पर असर पड़ रहा है।
ऐसे में एनयूजे ने मांग की थी कि एक पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए। पत्रकार सुरक्षा कानून बनेगा तो इसमें सरकार व संसद तय करेगा कि पत्रकार कौन होगा।

मगर सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया विपरीत मीडिया से जुड़ी समितियों की सुनवाई नहीं है। सभी सरकारें चाहती है कि पत्रकार उनके हिसाब से चले।
सरकार मीडिया पर अंकुश लगा रही है।

मीडिया कॉउंसिल, पत्रकार सुरक्षा कानून और मीडिया कमीशन बनाने की संगठन लगातार मांग कर रहा है।

ताकि मीडिया में आ रही गिरावट पर अंकुश लगाया जा सकें। दिल्ली में आयोजित होने वाले स्वर्णिम जयंती कार्यक्रम में इस मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मीडिया का भविष्य अंधकार में लग रहा है। बड़े से बड़े दिग्गज रहे पत्रकारों को उन्होंने जिंदगी के आखिरी पड़ाव में खाने तक के लाले पड़ते भी देखा है। उन्होंने कहा कि पत्रकार अगर यूनिटी में नहीं रहे तो बड़े से बड़े संस्थान में काम करने वाले व लाखों के पैकेज लेने वाले पत्रकार की नौकरी भी सुरक्षित नहीं है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर ऊना में आयोजित कार्यक्रम में नेशनल यूनियन ऑफ जर्निलस्ट्स इंडिया की राष्ट्रीय सचिव सीमा मोहन ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी और उनकी टीम के नेतृत्व में करीब सभी बड़े राज्यों में NUJ की अपनी इकाइयां गठित हो चुकी हैं।
NUJI देश का एकमात्र ऐसा संगठन है जो पत्रकार और पत्रकारिता दोनों को बचाने के लिए लगातार हरसम्भव प्रयास कर रहा है। अन्यथा आज के इस दौर में ऐसा लगता है कि पत्रकारिता पूरी तरह से खतरे में पड़ गई है। न पत्रकार बचे है न पत्रकारिता। इसके स्थान में आ गई है तो सिर्फ वो है चाटुकारिता।
उन्होंने कहा कि कतई ये कहने से गुरेज नहीं है कि 21वीं सदी के इस दौर में आज हमें पत्रकारिता को बचाने की सख्त आवश्यकता है। और आवश्यकता है दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश इस भारत के लोकतंत्र को बचाने की भी। यदि पत्रकार और पत्रकारिता नहीं बची तो फिर आप समझ सकते हैं कि ये लोकतंत्र कैसे बचेगा।

मीडिया जगत…. की बात करें तो आज यही पता नहीं कि आखिर पत्रकार है कौन?? पत्रकार के नाम पर फौज खड़ी हो चुकी है। कई फर्जी लोग खड़े हो गए है जो अपने निजी स्वार्थ और अपने आकाओं को खुश करने के लिए पत्रकारिता नहीं चाटुकारिता में लगे हैं।
दुख तो तब होता है जब लोग खुले आम कहते हैं कि ये तो भाजपा का पत्रकार है… ये कांग्रेसी पत्रकार है या ये फलां पार्टी का पत्रकार है।
उन्होंने कहा कि संकोच नहीं ये कहने में कि ऐसे कई तथाकथित पत्रकार हैं जो केवल और केवल एक पार्टी या व्यक्ति विशेष के गुणगान में जुटे हैं इससे हमारी तमाम पत्रकार बिरादरी बदनाम हो रही है। जो बेहद शर्मनाक और खेद जनक है।

इसलिए क्राइटेरिया फिक्स हो कि आखिर पत्रकार है कौन।
और ये सरकार ही कर सकती है कि जिस तरह मेडिकल काउंसिल डॉक्टर को, चार्टर्ड कौंसिल CA, नर्सिंग काउंसिल नर्सों और बार काउंसिल वकीलों को अपने नोबल प्रोफेशन में कार्य करने की मान्यता देती है उसी तर्ज पर सशक्त प्रेस काउंसिल से मान्यता के बाद ही किसी व्यक्ति को पत्रकारिता की इजाजत मिले। इसके लिए सरकारों को ही पहल करनी होगी।

लेकिन हिमाचल की बात करें तो
अब तक सरकार और प्रशासन पत्रकार के हित के किसी भी मुद्दे पर ना तो कोई सकारात्मक निर्णय ले पाया और ना ही इस दिशा में कोई प्रयास किया। प्रदेश सरकार के नकारात्मक रवैये के चलते समूचे प्रदेश के पत्रकार जगत में रोष व्याप्त है नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट की शिमला और प्रदेश इकाई ने हर स्तर पर पत्रकारों के मुद्दों को रखकर उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास किए लेकिन हर प्रयास पर सरकार ने पानी फेर दिया।

लगातार मांग करने के बाद भी आज तक राज्य सरकार नए युग की पत्रकारिता वेब मीडिया के लिए वेब मीडिया पालिसी नहीं बना पा रही है।

संगठन की मांग है कि वेब मीडिया पॉलिसी बनाने के साथ ही नेशनल रजिस्टर फ़ॉर जर्नलिस्ट लगाया जाए ताकि पत्रकारिता के इस नोबल प्रोफेशन को बचाया जा सके।
प्रेस दिवस …लोक तंत्र के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता को समर्पित ये दिवस है। मगर मीडिया की आज़ादी ही आज खतरे में है, देश के कई हिस्सों में पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं। जो कि चिंता जनक है। हमें आज पत्रकारिता को बचाने की आवश्यकता है।

LIC

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