ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज :- गर्मी का मौसम शुरू होते ही उपमंडल के विभिन्न गाँवों में “बाबूजी…कपड़े ले लो, बर्तन ले लो” की आवाजें आम हो जाती हैं। बाहरी राज्यों से आए फेरीवाले गाँव-गाँव घूमकर कपड़े, बर्तन और अन्य रोजमर्रा की चीजें बेचते नजर आते हैं।

हालांकि कई पंचायतों द्वारा ग्राम सभाओं में फेरीवालों को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए हैं परंतु फिर भी ये फेरीवाले बिना बिल के सामान बेच रहे हैं और लोगों की दिनचर्या पर पैनी नजर रखते हैं। एक तरफ ये फेरीवाले स्थानीय व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं वहीं इनकी कार्य प्रणाली संदेह का कारण बन रही है।
स्थानीय दुकानदारों वेद प्रकाश,नरेंद्र कुमार, मदनलाल, राकेश, टेकचंद,संतराम, जयसिंह, देवराज,अनिल, गौरव,रमेश और रीना का कहना है कि उन्होंने किराये पर दुकानें ली हुई हैं लेकिन बाहरी राज्यों से आने वाले फेरीवाले उनके व्यापार पर बुरा असर डाल रहे है। उनका कहना है कि ये फेरीवाले बिना बिल के सामान बेचते हैं जिससे सरकार को भी नुकसान हो रहा है।

वहीं स्थानीय लोगों किशोर, अशोक,नेहा, चमन, पूनम, सुमन, सुनीता, तिलक, राजेन्द्र शर्मा ,देवेन्द्र शर्मा,सुदेश और राजा आदि का कहना है कि बाहरी राज्यों से आने वाले फेरीवाले गांवों में आकर बार-बार सामान खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फेरीवाले अक्सर ऐसे घरों में जाकर रेकी करते हैं जहां महिलाएं और बुजुर्ग रहते हैं, जिससे इनकी कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में रहती है और चोरी या अन्य अनहोनी का खतरा बना रहता है।

ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन से मांग की है कि इन फेरीवालों पर नकेल कसी जाए। अधिकतर फेरीवालों के पास क्षेत्र में घूमने का परिमिट ही नहीं होता है और इनके पास से अक्सर पहचान पत्र भी नहीं मिलता है।
यदि इनके आधार कार्ड चेक किए जाएं तो अक्सर जन्म तिथि एक जनवरी पाई जाती है जिससे इनकी पहचान और संदिग्ध हो जाती है।

इस संदर्भ में डीएसपी दाडलाघाट संदीप शर्मा ने कहा कि पुलिस द्वारा बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों का पुलिस स्टेशन में पंजीकरण किया जाता है। इसके अलावा प्रशासन ने ग्राम पंचायतों व मकान मालिकों को दिशा निर्देश दिए हैं कि उनकी पंचायत में रहने वाले सभी किरायेदारों का पंजीकरण होना आवश्यक है। उन्होंने अपील की कि अगर किसी को कोई भी फेरीवाला संदिग्ध लगता है तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दी जाए।





