ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज अर्की:-अर्की के मयाउण गाँव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य साहिल कृष्ण शास्त्री ने भक्ति और प्रेम के गहरे संबंध पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि कैसे शुद्ध आचार-विचार और निष्कपट प्रेम भगवान को प्रिय हैं। श्री शुकदेव जी महाराज और राजा परीक्षित के संवाद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान किसी भी व्यक्ति को उसकी पवित्रता और प्रेम के आधार पर मिलते हैं।
आचार्य ने यह भी बताया कि भगवान स्वयं कहते हैं कि वे प्रेम के भूखे हैं और प्रेम ही उनके लिए सार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया के प्रेम से अधिक महत्वपूर्ण भगवान के प्रति प्रेम है, क्योंकि यही प्रेम हमें भवसागर से पार ले जाता है।
नारद जी के भक्ति सूत्र का हवाला देते हुए आचार्य ने प्रेम की परिभाषा पर प्रकाश डाला और कहा कि सच्चा प्रेम वह है जो अपने प्रियतम के सुख को अपना सुख मानता है। उन्होंने समापन में कहा कि जिस प्रकार सूर्योदय से त्रिभुवन का अंधकार मिटता है, उसी प्रकार भगवान के नाम का जप सभी पापों को नष्ट कर देता है।
इस आयोजन में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है और भक्ति की इस गंगा में सभी डुबकी लगा रहे है। आचार्य के प्रवचनों ने सभी के हृदय को छू लिया और भक्ति की इस धारा में बहने के लिए प्रेरित किया।