हिमाचली संस्कृति के सजग लेखक अमरदेव आंगिरसडॉ. यशवंत सिंह परमार साहित्य पुरस्कार से सम्मानित

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- हिमाचल प्रदेश सिरमौर कला संगम वशिष्ठ आश्रम बायरी द्वारा आयोजित 66वें महा अलंकरण समारोह में साहित्यकार अमरदेव आंगिरस को वर्ष 2025 का डॉ. यशवंत सिंह परमार साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए दिया गया।

पुरस्कार समारोह में संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष आचार्य ओम प्रकाश ‘राही’ और महासचिव दिनेश कुमार ‘ताश’ द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

अमरदेव आंगिरस मूल रूप से अर्की उपमण्डल के दाड़लाघाट क्षेत्र से संबंध रखते हैं। उनका जन्म 1 अगस्त 1948 को बातल गांव में हुआ। तीन वर्ष की आयु में पिता के निधन के बाद कठिन परिस्थितियों में उन्होंने शिक्षा और जीवन का मार्ग तय किया। 18 वर्ष की उम्र में शिक्षक के रूप में कार्य आरंभ किया और दर्शन शास्त्र में शिक्षा प्राप्त कर 40 वर्षों तक अध्यापन से जुड़े रहे।

छात्र जीवन से ही लेखन में रुचि रखने वाले आंगिरस ने ‘वीर प्रताप’ समाचार पत्र से लेखन की शुरुआत की। बाद में उनका लेखन हिमाचल की संस्कृति, लोक परंपराओं और सनातन धर्म पर केंद्रित रहा। उन्होंने ‘सोलन जनपद की लोकदेव परंपरा’, ‘हिमाचली संस्कृति गाथा’, ‘हिमाचली लोकनाट्य’, ‘हिमाचली इष्टदेव एवं कुलदेवता’, ‘महर्षि मार्कण्डेय का भक्त्ति साहित्य’ सहित दर्जनभर शोधपरक पुस्तकें प्रकाशित की हैं।

उन्हें इससे पहले हिमाचल साहित्य कला मंच, हिमाचल मानव कल्याण समिति, शारदा संगीत विद्यालय दाड़लाघाट और ठाकुर वेदराम जयंती राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है।

पुरस्कार प्राप्ति के बाद अमरदेव आंगिरस ने संस्था के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक अविस्मरणीय प्रेरणा है। उन्होंने चयन समिति, अध्यक्ष और सभी पदाधिकारियों का आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम के दौरान ब्रह्मर्षि चन्द्रमणि वशिष्ठ ‘पहाड़ी मृणाल’ की जयंती भी मनाई गई। इस अवसर पर 11 व्यक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में सम्मानित किया गया। स्थानीय और बाहरी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय संगीत, गज़लें और सिरमौरी लोकगीत विशेष आकर्षण रहे। समारोह में आचार्य ओम प्रकाश ‘राही’ ने सूत्रधार की भूमिका निभाई।

गौरतलब है कि सिरमौर कला संगम की स्थापना वर्ष 1958 में ब्रह्मर्षि चन्द्रमणि वशिष्ठ द्वारा की गई थी। संस्था पिछले 66 वर्षों से साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है।

LIC

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