संस्कृत शिक्षक परिषद् ने उठाई मांग – पद समाप्त करने की बजाय पदोन्नति से भरे जाएं रिक्त स्थान

शून्य नामांकन वाले विद्यालयों की वास्तविकता को समझे सरकार: परिषद्

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज- प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा विभिन्न स्कूलों में विद्यार्थियों की नामांकन संख्या शून्य होने के आधार पर विषयाध्यापक के पदों को समाप्त करने के निर्णय पर हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् ने कड़ा ऐतराज जताया है। परिषद् ने मांग की है कि ऐसे निर्णयों से पहले ठोस तथ्यों की जांच जरूरी है, ताकि शिक्षा व्यवस्था और विद्यार्थियों के अधिकारों को नुकसान न पहुंचे।

परिषद् का कहना है कि विभाग ने 47 स्कूलों में प्रवक्ताओं के पद समाप्त किए हैं। इनमें से मात्र 19 विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षक मौजूद होने के बावजूद नामांकन नहीं हुआ, जबकि शेष 28 स्कूलों में संबंधित विषय के शिक्षक नियुक्त ही नहीं किए गए थे। परिषद् का तर्क है कि जहां शिक्षक ही नहीं होंगे, वहां विद्यार्थियों का किसी विषय में प्रवेश लेना स्वाभाविक रूप से असंभव है। ऐसे में वहां पद समाप्त करना शिक्षा की मूल भावना के खिलाफ है।

संस्कृत जैसे गौरवशाली विषय की स्थिति पर विशेष चिंता व्यक्त करते हुए परिषद् ने कहा कि सात स्कूलों में प्रवक्ता संस्कृत के पद हटा दिए गए, जबकि वहां कभी शिक्षक नियुक्त ही नहीं किए गए थे। परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल, महासचिव डॉ. अमित शर्मा, वित्त सचिव सोहनलाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. जंगछुब नेगी समेत कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों ने संयुक्त बयान में कहा कि शिक्षक रहने पर इन स्कूलों में पहले नामांकन होता था, लेकिन पद रिक्त होने के बाद ही विद्यार्थियों की संख्या घटी है।

परिषद् ने सरकार से अपील की है कि फिलहाल प्रवक्ता वर्ग की पदोन्नति प्रक्रिया लंबित है, ऐसे में रिक्त पदों को समाप्त करने की बजाय पदोन्नत शिक्षकों के माध्यम से भरा जाए। साथ ही, जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, वहां पहले नियुक्तियां सुनिश्चित की जाएं। यदि नियुक्ति के बावजूद नामांकन नहीं होता है, तभी ऐसे पदों की समाप्ति पर विचार हो।

परिषद् का मानना है कि संतुलित और व्यावहारिक निर्णय ही छात्रों के हित में होगा और शिक्षा के स्तर को बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा।

LIC

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