ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- कुनिहार के तालाब स्थित शिव मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
कथा के तीसरे दिन प्रसिद्ध आचार्य और श्री बांके बिहारी विश्व मंगलम सेवाधाम के संस्थापक श्री हरिजी महाराज ने कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध का वृतांत सुनाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पांडव जुएं में हारकर वनवास और अज्ञातवास में गए और द्रौपदी का चीरहरण हुआ, जिसके दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की।
आचार्य ने कहा कि महाभारत और रामायण दोनों में धर्म और अधर्म की लड़ाई को दर्शाया गया है। रावण और दुर्योधन दोनों ही महान योद्धा थे, लेकिन उनके आचरण और नीतियां धर्म के विरुद्ध थीं। रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए माता सीता का हरण किया, जिससे लंका का विनाश हुआ। आचार्य ने यह भी बताया कि रावण के पुत्र मेघनाद भी महाबलशाली और तपस्वी थे, लेकिन रावण के गलत निर्णयों के कारण पूरे कुल का नाश हो गया।
कथा के अगले प्रसंग में आचार्य हरिजी महाराज ने नवरात्रि के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नवरात्रि देवी शक्ति की उपासना का पर्व है, जिसमें माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, और कुष्मांडा देवी के रूपों की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि माता दुर्गा अपने भक्तों को रोग, शोक और कष्टों से मुक्त कर आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं।
कथा का शुभारंभ कलश यात्रा से हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कथा का आयोजन राधे श्याम परिवार संस्था कुनिहार के सौजन्य से किया गया है, और आचार्य हरिजी महाराज का मंदिर परिसर में स्वागत फूलमालाओं से किया गया।