
ब्यूरो,दैनिक हिमाचल न्यूज़:-दाड़लाघाट,उपतहसील दाड़लाघाट के तहत गांव धोबटन में बरायली फुगवाना जीवा नाबार्ड परियोजना के तहत एक प्राकृतिक खेती जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया,जिसमें क्षेत्र के 30 किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस शिविर का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों से अवगत कराना और उन्हें टिकाऊ कृषि तकनीकों की जानकारी प्रदान करना था। यह परियोजना नाबार्ड और अंबुजा फाउंडेशन के सहयोग से चलाई जा रही है,जो हमारे क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

शिविर में कृषि विभाग द्वारा नियुक्त मास्टर ट्रेनर ने किसानों को प्राकृतिक खेती की बारीकियों से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना भी अच्छी पैदावार कैसे संभव है और यह पर्यावरण के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति के लिए भी लाभकारी है। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश से आए बाहरी संसाधन विशेषज्ञ हरि कृष्णा ने किसानों को प्री मानसून ड्राई सोइंग (सूखी बुवाई) तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने इस तकनीक के फायदे गिनाए,जैसे कम पानी की आवश्यकता और मानसून से पहले ही फसल तैयार करने की सुविधा,जिससे किसानों को जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने में मदद मिलेगी।

इस अवसर पर अंबुजा फाउंडेशन के जोनल मैनेजर भूपेंद्र गांधी ने कहा नाबार्ड द्वारा समर्थित यह 1.12 करोड़ रुपये की परियोजना हमारे क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारा लक्ष्य किसानों को सशक्त बनाना और उनकी आजीविका को बेहतर करना है। गांधी ने आगे बताया कि यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगी,बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक सिद्ध होगी। शिविर में भाग लेने वाले किसानों ने इस पहल की सराहना की और कहा कि ऐसी जानकारी उनके लिए बेहद उपयोगी है।

एक किसान ने कहा हमें पहली बार पता चला कि बिना रसायनों के भी खेती संभव है और यह हमारे खर्च को कम कर सकती है। इस तरह के आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने और किसानों को आधुनिक,पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह शिविर नाबार्ड की जीवा परियोजना के तहत चल रही व्यापक पहल का हिस्सा है,जो देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। आने वाले दिनों में इस तरह के और शिविर आयोजित किए जाने की योजना है,ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें।






