ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा गणित, विज्ञान और अंग्रेजी विषयों पर विशेष जोर देते हुए शिक्षकों से गैर-शिक्षण कार्य न करवाने और अन्य शिक्षकों (सी एण्ड वी) से यह कार्य करवाने के आदेश पर हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद ने गहरी नाराजगी जताई है। परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल और अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि विभाग के इस निर्णय से ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य विषयों का कोई महत्व नहीं है।

प्रतीकात्मक छायाचित्र
डॉ. मनोज शैल ने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी विषयों का संतुलित अध्ययन जरूरी है। भाषा का ज्ञान हर विषय का आधार है और इसके बिना अन्य विषयों को समझ पाना कठिन है। उन्होंने परख सर्वेक्षण के परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि सर्वेक्षण में छात्रों की भाषा कमजोर पाई गई है। ऐसे में विभाग को भाषा के विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।


सी एण्ड वी शिक्षकों के साथ भेदभाव पर सवाल
परिषद ने विभाग के निर्णय को एक वर्ग विशेष पर भार डालने वाला बताया। सी एण्ड वी शिक्षकों से हर प्रकार का गैर-शिक्षण कार्य करवाया जाता है, लेकिन उन्हें उनके योगदान के अनुरूप सम्मान या समान वेतन नहीं दिया जाता। परिषद ने मांग की है कि यदि सी एण्ड वी शिक्षकों से टीजीटी शिक्षकों के समान कार्य करवाए जाते हैं, तो उन्हें समान वेतन भी मिलना चाहिए।

प्रारंभिक शिक्षा में सुधार की आवश्यकता
संस्कृत शिक्षक परिषद ने जोर देकर कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आधार प्राथमिक शिक्षा है। यदि प्रारंभिक स्तर पर सुधार नहीं किया गया तो उच्च शिक्षा में भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। परिषद ने विभाग से अनुरोध किया है कि शिक्षा में सुधार के लिए मान्यता प्राप्त संगठनों से विचार-विमर्श कर ठोस नीतियां बनाई जाएं।
भविष्य में बेहतर परिणाम की उम्मीद
परिषद ने विभाग से अपेक्षा की है कि इन आदेशों के बाद परीक्षा परिणामों में सुधार देखने को मिलेगा। हालांकि, परिषद ने यह भी चेतावनी दी कि शिक्षकों पर अतिरिक्त दबाव डालने और एकपक्षीय निर्णय लेने से शिक्षा प्रणाली को नुकसान हो सकता है। अतः सभी विषयों को समान महत्व देकर प्राथमिक शिक्षा के स्तर को मजबूत किया जाना चाहिए।


