ब्यूरो,दैनिक हिमाचल न्यूज़:-(दाड़लाघाट) जैसे जैसे मनुष्य की आयु बढ़ती जाती है,भगवान उसे बार बार सम्मन भेजते है अर्थात आगाह करते है कि तुम संभल जाओ,समझ जाओ।लेकिन मनुष्य भगवान के इन संकेतों को नहीं समझता और उन्हें दरकिनार करते हुए खुद को गलत कार्यों में संलिप्त रखता है,वह जानबूझकर निर्दोष को लज्जित और प्रताड़ित करता रहता है।वह संसार की मोहमाया को छोड़ नही पाता।पंचायत बरायली के विजय चंदेल के निवास पर चल रहीं श्रीमद भागवत कथा व्यासपीठ पर आसीन आचार्य अश्वनी गौतम ने भागवत कथा के चौथे दिन आज का प्रसंग सुनाते हुए पांडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को उपदेश दिया कि उम्र के साथ मनुष्य को सांसारिक बंधनों से स्वयं को मुक्त कर देना चाहिए और प्रभु सिमरन करते रहना चाहिए।उन्होंने बताया कि जीवन में कुछ भी साथ नही जाएगा अपितु धर्म और कर्म ही साथ जायेगा।हमें जीवन में सद्कर्म करते रहना चाहिए।सुख दुःख तो जीवन में आते जाते रहते हैं और यह सब हमारी प्रारब्ध पर निर्भर करता है।वेदों की महिमा का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि वेदों और शास्त्रों में निहित शिक्षाएं आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक हैं,जिनका हमें हनेशा अनुसरण करना चाहिए।