ब्यूरो ,दैनिक हिमाचल न्यूज :- आज प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली से शिमला लौट रहे है। उनके शिमला लौटने से पहले ही राजधानी में नवनिर्वाचित विधायकों ने भी डेरा डाल दिया है। अधिकांश विधायक मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिये दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के माध्यम से अपने लिये लॉबिंग कर दिल्ली से लौट आए हैं।
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए रविवार से राजधानी शिमला में फिर कांग्रेस की राजनीति गरमाएगी। रविवार को सुक्खू के शिमला लौटने से पहले ही राजधानी में नवनिर्वाचित विधायकों ने डेरा डाल दिया है। दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के माध्यम से अपने लिए मंत्री पद की लॉबिंग करने गए अधिकांश विधायक दिल्ली से लौट आए हैं। कांगड़ा, चंबा, कुल्लू के कई विधायक शनिवार को शिमला पहुंचे। सोलन, सिरमौर, ऊना और बिलासपुर के विधायक रविवार दोपहर तक शिमला पहुंचेंगे।
जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में विधानसभा के शीत सत्र के बाद मंत्रिमंडल का गठन संभावित है। सूत्रों ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने से पहले मुख्यमंत्री सुक्खू ने कांग्रेस हाईकमान के साथ चर्चा कर विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित कई मंत्रियों के नाम तय कर लिए हैं। बिलासपुर से राजेश धर्माणी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, सिरमौर से हर्षवर्द्धन चौहान, चंबा से कुलदीप पठानिया और किन्नौर से जगत सिंह नेगी की ताजपोशी होना लगभग तय है। जिला कांगड़ा से चंद्र कुमार, सुधीर शर्मा और रघुवीर सिंह बाली, जिला शिमला से रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और कुलदीप सिंह राठौर झंडी मिलने की दौड़ में शामिल हैं।
हमीरपुर से राजेंद्र राणा भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। जिला सोलन से कर्नल धनीराम शांडिल और राम कुमार चौधरी के बीच मंत्री पद को लेकर कड़ा मुकाबला बना हुआ है। इस जिला से मंत्री पद के लिए जातीय समीकरणों के आधार पर मंथन चल रहा है। शांडिल एससी वर्ग और रामकुमार चौधरी ओबीसी वर्ग से हैं। दून का क्षेत्र हरियाणा से सटा है। हरियाणा में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में हरियाणा के कांग्रेस नेता रामकुमार को मंत्री बनाकर पड़ोसी राज्य में कांग्रेस की हवा बनाने का तर्क दे रहे हैं। शांडिल की गांधी परिवार से नजदीकी है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रह चुके हैं।
ऐसे में इस जिले को मंत्री देने के लिए माथापच्ची अभी भी जारी है। प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से अब सिर्फ दस मंत्री ही बनाए जा सकते हैं। इनके अलावा विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक, सचेतक और राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष के पदों पर भी कांग्रेस विधायकों की नियुक्तियां की जानी हैं। मंत्री बनने से छूटने वाले विधायकों को इन पदों से नवाजा जा सकता है। अब आने वाले दिनों में किस विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान मिलता है, या उपरोक्त बोर्डो या निगमो में स्थान मिलेगा,इसको लेकर अभी भी संशय बरकार है।