ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के अंत में प्रस्तावित पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों के लिए विधानसभा की वोटर लिस्ट को आधार बनाया जाएगा। लेकिन नई पंचायतों के गठन में 2011 की जनगणना को आधार मानने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। समाजसेवी एवं सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. हेतराम वर्मा ने इस प्रक्रिया को तर्कसंगत नहीं बताया है।

डॉ. वर्मा ने कहा कि जब पंचायती राज चुनावों के लिए वर्तमान विधानसभा की वोटर लिस्ट को आधार माना जा रहा है, तो नई पंचायतों के गठन में 2011 की जनगणना का उपयोग क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2011 के बाद प्रदेश की जनसंख्या और मतदाता संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। ऐसे में पुरानी जनगणना के आधार पर पंचायतों का गठन प्रदेश की वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाता।

उन्होंने यह भी कहा कि नई पंचायतों का गठन 1000 की आबादी के प्रावधान पर किया जा रहा है, लेकिन यह आंकड़ा अब अप्रासंगिक हो चुका है। प्रदेश में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां 2011 के मुकाबले अब जनसंख्या दोगुनी हो चुकी है। डॉ. वर्मा ने सरकार से अपील की कि इस मुद्दे पर गहराई से मंथन किया जाए और नई पंचायतों के गठन के लिए वर्तमान जनसंख्या के आधार पर निर्णय लिया जाए।

उन्होंने कहा कि राज्य में नई पंचायतों के गठन के लिए पंचायत विभाग ने 500 से अधिक आवेदन मांगे हैं। हालांकि, इन आवेदनों की समीक्षा में 2011 की जनगणना को आधार बनाया जा रहा है। जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में इससे कम जनसंख्या पर भी पंचायतों का गठन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब चुनावी प्रक्रिया में नवीनतम आंकड़े अपनाए जा रहे हैं, तो पंचायत गठन में पुरानी जनगणना का उपयोग करना उचित नहीं है।
डॉक्टर वर्मा ने कहा कि जनता का मानना है कि नई पंचायतों का गठन नवीनतम जनसंख्या और मतदाता आंकड़ों के आधार पर होना चाहिए।उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस मुद्दे पर ठोस निर्णय लेकर पंचायत व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जाए।





