अर्की के तनसेटा से संबंध रखने वाले डॉक्टर सुरेंद्र पाल बने फोरेंसिक सलाहकार।

सरकार ने किया पहला फॉरेंसिक सलाहकार नियुक्त


डाक्टर सुरेंद्र पाल बने फॉरेंसिक सलाहकार, फॉरेंसिक सर्विसेज को करेंगे स्पीडअप
लम्बे समय तक दे चुके है है सेवाएं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिले है अवार्ड

ब्यूरो, दैनिक हिमाचल न्यूज:- देवभूमि हिमाचल प्रदेश की शांत फिजाओं में अपराध दर बढ़ाने का मंसूबा पाले अपराधियों के अच्छे दिन अब लद चुके है। मासूम बच्चियों के साथ कुकृत्य करने वाले और हिमाचल की युवा पीढ़ी को नशे की दलदल में धकलने वाले हर सूरत में सलाखों के पीछे हो इसके लिए प्रदेश सरकार ने पहली दफा फॉरेंसिक सलाहकार नियुक्त किया। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला के बेटे और सीनियर फॉरेंसिक अधिकारी को इसकी कमान दी है।


बता दे कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके फॉरेंसिक सर्विसेज निदेशालय में कार्यरत सहायक निदेशक डॉ. सुरेंद्र कुमार पाल को फोरेंसिक सलाहकार नियुक्त किया है। डॉ. पॉल सोलन जिला के अर्की तहसील के एक छोटे से गांव तनसेटा से संबंध रखते हैं। पंजाब विश्वविद्यालय एवं पीजीआई चंडीगढ़ से पीएच.डी. हासिल करने के बाद डॉ. सुरेंद्र पाल ने कई देशों में अपने रिसर्च पेपर पर प्रस्तुत किये। बेहतरीन अनुसंधान एवं शोध के चलते इन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं । पीजीआई चंडीगढ़ में इनके द्वारा मिर्गी रोग पर किये गये शोध के लिए इन्हें देश-विदेश में खूब सराहना मिली।
विशेष बातचीत में डाक्टर पाल ने अपनी नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस, न्याय और कन्विक्शन रेट को ज्यादा करने के लिए यह कदम उठाया गया है। क्राइम सिन से हरेक साक्ष्य जुटाकर अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजना इसका मुख्य कारण है। उन्होंने कहा की जो उन पर विश्वास जताया गया है उस पर खरा उतरेंगे और इसके अच्छे परिणाम आने वाले समय में मिलेंगे।
पोक्सो के मामले चिंता जनक
बता दे की अकेले इंडस्ट्रियल एरिया से हर माह 10 से 15 मामले बच्चों के साथ योन शोषण के आ रहे है। प्रतिवर्ष यह आंकड़ा 150 से 160 के बीच जा रहा है। सीमावर्ती क्षेत्र होने प्रवासी आबादी ज्यादा होने के चलते अपराधी यूपी बिहार या अन्य राज्यों में भाग जाते है। ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार ने पहली बार यह बड़ा कदम उठाया है।

LIC

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